For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यूँ है तू बीमार मेरे दिल

(22 22 22 22)

क्यूँ है तू बीमार मेरे दिल

गम से यूँ मत हार मेरे दिल

 

तय है इक दिन मौत का आना

इस सच को स्वीकार मेरे दिल

 

पहले ही से दर्द बहुत हैं

और न ले अब भार मेरे दिल

 

सुनकर भाषण होश न खोना

ये सब है व्यापार मेरे दिल

 

कौन यहाँ पर कब बिक जाए

रहना तू हुशियार मेरे दिल

 

झूठ खड़ा है सीना ताने

सच तो है लाचार मेरे दिल

 

दिल के कोने में रहने दे

प्यार का हक मत मार मेरे दिल

 

होगी उसकी भी मजबूरी

पी ले गुस्सा यार मेरे दिल

 

रिश्तों को तू खूब निभाना

सबसे मिल इक बार मेरे दिल

 

सच्चाई के साथ चलेंगे

हो जा तू तैयार मेरे दिल 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gurpreet Singh jammu on November 4, 2017 at 11:51am
आदरणीय नादिर खान जी ..बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने ..मुबारकबाद क़ुबूल करें

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2017 at 9:12pm

पहले  से ही  दर्द बहुत हैं

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई आद० नादिर खान जी दिल से दाद हाजिर है 

Comment by नादिर ख़ान on November 3, 2017 at 4:38pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी आदरणीय विजय निकोर जी आदरणीय जनाब अफ़रोज सह्र साहब आदरणीय जनाब मोहामद आरिफ़  साहब आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया ... आप लोगों के कोमेंट्स से हौसला मिलता है |

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 2, 2017 at 8:24pm
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई आदरणीय..बधाई
Comment by vijay nikore on November 2, 2017 at 3:24pm

//पहले ही से दर्द बहुत हैं
और न ले अब भार मेरे दिल//

बहुत खूब। अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Afroz 'sahr' on November 2, 2017 at 9:50am
,जनाब नादिर साहिब शेर दर शेर मुबारकबाद पेश करता हूँ,,
Comment by Mohammed Arif on November 2, 2017 at 7:46am
झूठ खड़ा है सीना ताने
सच तो है लाचार मेरे दिल। बहुत ही बढ़िया शे'र
शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें आदरणीय नादिर खान जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service