" हेलो - क्या हाल है , आसिफ ? " मैं तो ठीक हूँ तलत ,
" लेकिन मौसम बहुत बेकार है दिन भर बादलों की आना जाना जारी है लेकिन बारिश की कोई संभावना नज़र नहीं आती । घनघोर घटाएँ छाती तो हैं लेकिन वैसी बारिश नहीं होती जैसी होनी चाहिए। हलकी फुल्की फौहार थोड़ी देर के लिए माहौल में ठंडक पैदा कर देती। सूरज की तपिश इसी ठंडक को उमस में परिवर्तित कर देती है। बस ये उमस ही बर्दाश्त से बाहर है। बड़ी बेचैनी होती है। एक अजीब सी घुटन है।
काश ! कोई इन घटाओं से कह दे आएं ही न। हम तो इस तपिश में भी जी ने के आदी है। एक सब्र तो हो कि इस साल बारिश होगी ही नहीं। "
और सुनाओ, तलत।" तुम्हारे क्या हाल हैं ? "
बहुत दिन से मुलाक़ात नहीं हुई। तुम आने - आने का कहती तो हो। लेकिन बस एक उम्मीद ही बंधाती हो। मैं इन्तिज़ार करता रहता हूँ ।लेकिन , जब तुम्हारा फोन आता है।
" आज नहीं आ पाऊँगी।" तब बेचैन हो जाता हूँ ।
नहीं आना , तो पहले ही बताने में क्या हर्ज है।
उस दिन , आईं भी तो बस एक हवा के झोंके की तरह। इतनी जल्दी कि बस जाने की ही रट लगाए रखी।
सुनो , अब आना तो ज़रा टाइम निकाल कर। पूरे सुकून के साथ। " ठीक उन घटाओं की तरह जो हवाओं को रोक देतीं हैं ताकि वो उनको उड़ा कर कहीं और न ले जा सके। और फिर जमकर बरसतीं हैं जब तक कि ये उमस पूरी तरह ठंडक में न बदल जाए। " हाँ , " आसिफ़, सोच तो ऐसा ही कुछ मैं भी रही हूँ। लेकिन क्या करूँ हालात इजाज़त ही नहीं देते। फिर भी कोशिश करुँगी ... ... ... ।
Comment
एक कविता की तरह कही गई कहानी .. इंतज़ार मे.प्रेमी के दिल का हाल बारिश में पैदा उमस जैसा ..बधाई प्रेषितहै कथा पर आपको आदरणीय मुज्फफर इकबाल साहिब
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online