For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंधी जनता, राजा काना बढ़िया है ...गज़ल

22-22-22-22-22-2

नये दौर का नया ज़माना, बढ़िया है
अंधी जनता, राजा काना, बढ़िया है

अब तो है यह उन्नति की नव परिभाषा,
जंगल काटो, पेड़ लगाना, बढ़िया है

अपना राग अलापो अपनी सत्ता है,
अपने मुंह मिट्ठू बन जाना, बढ़िया है

नई सियासत में तबदीली आई है,
आग लगा कर आग बुझाना, बढ़िया है

हत्या करना बीते युग की बात हुई,
अब दुश्मन की साख मिटाना, बढ़िया है

अगर कोख में बिटिया अब तक जिंदा है,
खूब पढ़ाना, ख़ूब बढ़ाना, बढ़िया है

नहीं ज़ियादा की हमको दरकार सुनो,
रोज उड़ाना, रोज़ कमाना, बढ़िया है

सारी बस्ती जल जाए तो जल जाए,
अपना छप्पर आप बचाना,बढ़िया है

~ बलराम धाकड़
मौलिक एवं अप्रकाशित।

Views: 1134

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Balram Dhakar on August 22, 2017 at 3:37pm
आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी, बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 9:52pm
जनाब बलराम जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
दूसरे शैर का ऊला मिसरा लय में नहीं है,और छटे और सातवें शैर के बारे में मैं जनाब नीरज जी से सहमत हूँ ।
अस्ल में ये बह्र मात्रिक है, इसलिये कभी कभी जो शैर मात्रा गणना के हिसाब से सही होते हुए भी लय में नहीं कहे जा सकते,इस बह्र की ये बात ध्यान में रखने योग्य है कि अल्फ़ाज़ की बंदिश का इसमें बड़ा अहम रोल होता है ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 20, 2017 at 3:38pm
आदरणीय बलराम धाकड़ जी सादर अभिवादन, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कहीं आपने,। शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
Comment by Balram Dhakar on August 20, 2017 at 12:54pm
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब।
Comment by Mohammed Arif on August 20, 2017 at 10:10am
आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन सामयिक -प्रासंगिक ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
Comment by Balram Dhakar on August 19, 2017 at 10:26pm
आदरणीय शेख़ शहज़ाद जी एवं आदरणीय नीरज जी,
कमेंट के लिए सादर धन्यवाद।

समीक्षा की प्रतीक्षा में...
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 19, 2017 at 7:05pm
बहुत बढ़िया कटाक्ष करते हुए बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय बलराम धाकड़ जी। विधा संबंधी दोषों पर वरिष्ठजन की टिप्पणियों पर ग़ौर फ़रमाइयेगा।
Comment by Niraj Kumar on August 19, 2017 at 4:25pm

आदरणीय बलराम जी,

धारदार ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद.

आपने अरकान नहीं लिखे हैं जो इस पटल पर एक सामान्य नियम है. मेरे ख्याल से ये 'फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फा' है. लेकिन इस बहर में छठे और सातवें शेर के पहले मिसरे फिट हो पायेंगे इसमें मुझे संदेह है. विज्ञजनों की राय इस सम्बन्ध में निर्णय करेगी. 

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service