२१२२ २१२२ २१२२ २१२
छोड़कर हमको किसी की जिंदगानी हो गए
ख्वाब आँखों में सजे सब आसमानी हो गए
प्रेम की संभावनाएँ थीं बहुत उनसे, मगर,
जब मिलीं नजरें परस्पर,शब्द पानी हो गए
वो उगे थे जंगलों में नागफनियों की तरह,
आ गए दरबार में तो रातरानी हो गए
सत्य का था बोलबाला, त्याग था, सद्भाव था,
आज के युग में सभी किस्से कहानी हो गए
चीज क्या है जिंदगी ये, जब समझ पाए जरा,
वो भी फानी हो गए, हम भी फानी हो गए
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपकी हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
बहुत खूब आ. बसंत जी ...
बधाई
बहोत खूब
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को " |
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