गेट के सामने भीड़ इकठ्ठी हो रही है, कुछ लोग क्रोध से भर कार्यालय के अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं । द्वारपाल भीड़ को रोकने की कोशिश में नकाम हो रहा है।
प्रेस अपने वीडियो कैमरे के साथ कार्यालय तक पहुँच गई है, और पत्रकार कई तरह के सवाल पुछ रहे हैं जैसे “वार्ड नं ३ में होने वाली मौत के बारे आप क्या कहना चाहेंगा। आप बताएँ मौत कि लिए जिम्मेदार चिकित्सक पर क्या एकशन लिया गया है।“
"आप कैसे कह सकते हैं कि मौत के लिए चिकित्सक ही जिम्मेदार है ?" बड़े टेबल की दुसरी तरफ़ बैठे साहिब ने कहा। मैने जाँच बिठा दी है। जो भी फैसला आयेगा, अगर कोई दोषी पाया गया तो उस पर सख्त करवाई की जायेगी ।" अधिकारी ने फिर दुहराहा ।
ये सुनते ही बहुत सी आवाज़े चुप हो गई,कुछ लोगों ने झुके चेहरे के साथ गेट से बाहर की तरफ चलना शुरू किया, और कुछ लोग अभी भी वहीं खड़े थे।
धीरे धीरे सभी लोग कार्यालय से बाहर आ गए।
एक महिला और साथ पांच – छह वर्ष का बच्चा अभी भी गेट पर हाथ जोड़ वहाँ फर्स पे बैठे हैं।
कुछ समय के बाद बाहर आते हुए,बाबू ने पूछा ।"क्यों बीबी, आप यहां बैठी हो।"
"साहिब जी,लाश !
“क्या मतलब।“
“ये लाश साहिब जी मेरे घर वाले की है,कैसे ले कर जायें, हमारे पास तो कोई पैसा नहीं।" हाथ जोड़े हुएमहिला ने बाबू से कहा।
तब उसे लगा कि जो लोग इस के साथ आए, वो नाटक का पार्ट अदा कर चले गए और ये लाश कल सुबह की अख़बार की हेड लाइन बन जायेगी।
"मौलिक व अप्रकाशित"
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बढ़िया लघुकथा है आदरणीय मोहन बेगोवाल जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आदरणीय रवि सर की बातों का ध्यान रखिएगा. शुभकामनाएँ. सादर.
गेट के सामने भीड़ इकठ्ठी हो रही है, कुछ लोग क्रोध से भर कार्यालय के अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं । द्वारपाल भीड़ को रोकने की कोशिश में नकाम हो रहा है।
प्रेस अपने वीडियो कैमरे के साथ कार्यालय तक पहुँच गई है, और पत्रकार कई तरह के सवाल पुछ रहे हैं जैसे “वार्ड नं ३ में होने वाली मौत के बारे आप क्या कहना चाहेंगा। आप बताएँ मौत कि लिए जिम्मेदार चिकित्सक पर क्या एकशन लिया गया है।“
"आप कैसे कह सकते हैं कि मौत के लिए चिकित्सक ही जिम्मेदार है ?" बड़े टेबल की दुसरी तरफ़ बैठे साहिब ने कहा। मैने जाँच बिठा दी है। जो भी फैसला आयेगा, अगर कोई दोषी पाया गया तो उस पर सख्त करवाई की जायेगी ।" अधिकारी ने फिर दुहराहा ।
ये सुनते ही बहुत सी आवाज़े चुप हो गई,कुछ लोगों ने झुके चेहरे के साथ गेट से बाहर की तरफ चलना शुरू किया, और कुछ लोग अभी भी वहीं खड़े थे।
धीरे धीरे सभी लोग कार्यालय से बाहर आ गए।
एक महिला और साथ पांच – छह वर्ष का बच्चा अभी भी गेट पर हाथ जोड़ वहाँ फर्स पे बैठे हैं।
सभी के जाने के बाद बाहर आते हुए,बाबू ने पूछा ।"क्यों बीबी, आप यहां बैठी हो।"
"साहिब जी,लाश !
“क्या मतलब।“
“ये लाश साहिब जी मेरे घर वाले की है,कैसे ले कर जायें, हमारे पास तो कोई पैसा नहीं।" हाथ जोड़े हुए महिला ने बाबू से कहा।
महिला कभी बच्चे और कभी आकाश की तरफ देखती रही ।
आदरनीय रवि जी, रचित लघुकथा के बारे अपनी कीमती राए देने के लिए बहुत बहुत धन्वाद, लघुकथा की बारीकियां समझने की कोशिश कर रहाँ हूँ, आप की रहनुमाई मेरा मार्गदर्शन करती रहेगी ।
आदरणीय बेगोवाल जी, बहुत व अच्छी प्रभावशाली रचना है शुभकामनाएं । वर्तनी अशुद्धियां मज़ा खराब कर रहीं है। रजत जयंती आयोजन पर भी आपकी लघुकथा बहुत बढ़ीया लगी थी । / कुछ समय के बाद बाहर आते हुए,बाबू ने पूछा ।"क्यों बीबी, आप यहां बैठी हो।"/ यहां 'कुछ समय के बाद' के स्थान पर 'सभी के जाने के बाद' प्रयोग करने से कथा में कालखंड से आसानी से बचा जा सकता है। / तब उसे लगा कि जो लोग इस के साथ आए, वो नाटक का पार्ट अदा कर चले गए और ये लाश कल सुबह की अख़बार की हेड लाइन बन जायेगी।/ इस पंक्ित में लेखकीय प्रवेश प्रतीत हो रहा है जो लघुकथा में अवांछनीय है। ओवरऑल कथानक की दृष्िट से लघुकथा अत्यंत प्रभावशाली है पर शैल्पिक दृष्िट से कुछ कमजोर लग रही है। पुन: शुभकामनाएं निवेदित हैं । सादर
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