पांच मिनट के लिए स्टेशन पर गाड़ी रुकी जनरल बोगी में पहले ही बहुत भीड़ थी उसपर बहुत से लोग और घुस आये जिनमे सजे धजे परफ्यूम की सुगंध बिखेरते चार किन्नर भी थे| कुछ लोगों के चेहरे पर अजीब सी मुस्कान आ गई जैसे की कोई मनोरंजन का सामान देख लिया हो कुछ लोगों ने अजीब सा मुंह बनाया तथा एक साइड को खिसक लिए जैसे की कोई छूत की बीमारी वाले आस- पास आ गए हों|
“अब ये अपने धंधे पर लगेंगे” वहाँ बैठे लडकों के ग्रुप में से एक ने कहा| “हाँ यार आज कल तो ट्रेन में भी आराम से सफ़र नहीं कर सकते अच्छी मोटी कमाई करके निकलते हैं ये हिजड़े”|
वहीँ बैठी हुई एक लड़की ने देखा एक किन्नर की तबियत कुछ खराब थी उसने खिसक कर जगह बनाते हुए कहा “आप यहाँ बैठ जाइए आंटी”
इतना सुनते ही वे लड़के ठहाका मार कर हँस पड़े एक ने कहा “अब तो हिजड़े भी आंटी हो गए भाई लोगो”|
“हिजड़े मत बोलना मुन्ना !! हमारी भी कोई इज्जत है किन्नर भले ही कह लो दुबारा जुबान से हिजड़ा मत बोलना” एक ने आँखें तरेरते हुए कहा|
धीरे धीरे सूरज ढल रहा था अँधेरा होने जा रहा था अगले स्टेशन से दो बदमाश जबरदस्ती धक्का- मुक्की करते हुए डिब्बे में घुस आये|
गाडी चल पड़ी तो उन दोनों ने चाक़ू की नोक पर मुसाफिरों को लूटना शुरू किया|
सब की बोलती बंद थी कुछ लोगों की तो घिग्गी बंध गई चुपचाप पैसे जेवर जो भी था निकाल कर देते जा रहे थे | उन लडकों के चेहरों की भी हवाएं उडी हुई थी वो सब नीची गर्दन करके चुपचाप बैठे हुए थे |
तभी एक बदमाश उस लड़की के पास आकर डराता हुआ गले की चैन झपटने लगा तो पास बैठे किन्नर ने बदमाश का हाथ पकड़ लिया मौक़ा देखते ही बाकी किन्नर भी उनसे उलझ गए हाथापाई में एक किन्नर के पैर में गोली भी लग गई उनको देख कर एक दो मुसाफिर भी मदद को आ गए किसी ने गाडी की चैन खींच दी|
इस तरह वो बदमाश पुलिस के हत्थे चढ़े|
मुसाफिरों ने पुलिस को कहा “आज हम सब इन किन्नरों की वजह से ही बच पाए साहब ”|
“वरना यहाँ तो कुछ मर्द हिजड़े बने बैठे हुए थे सर!!” लड़की उन लड़कों की तरफ देखते हुए बोली|
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आद० बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आपको लघु कथा पसंद आई दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया .
वाह आदरणीय राजेश कुमारी जी क्या खूब लघुकथा लिखी है।हार्दिक बधाई।आपकी लेखनी को नमन।
एक अलग कथानक है, हालाँकि सच्चाई बयान करती हुई लघुकथा है। बहुत बहुत बधाई आपको आ. राजेश दीदी
आद० सुरेन्द्र नाथ सिंह भैया,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ |
मोहतरम जनाब तस्दीक साहब ,आपको लघु कथा पसंद आई प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत- बहुत शुक्रिया मेरा लिखना सार्थक हुआ |
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