For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ २

सुन्दरी सवैया (मापनीयुक्त वर्णिक)
वर्णिक मापनी - 112 X 8 + 2 


निकले घर से नदिया लहरी शुचि शीतलता पहने गहना है|

चलते रहना मृदु  नीर लिए हर मौसम में उसको बहना है|

कटना छिलना उठना गिरना निज पीर सभी हँसके सहना है|

अधिकार नहीं कुछ बोल सके अनुशासन में उसको रहना है| 

 

खुशबू जिसमे सच की बसती उससे बढ़के इक फूल नहीं है|

जननी रखती निज पाँव जहाँ उससे शुचि पावन धूल नहीं है|

जिसके रहते अरि फूल छुए असली समझो वह शूल नहीं है|

जिसको करके पछताव करे मन ग्लानि  करे वह  भूल नहीं है|   

 

 

बनना यदि है कुछ जीवन में कुछ दूर अभी तुमको चलना है|

जलती उर में नव आग लिए नित सूरज सा तुमको जलना है|

तनका गहना बनता तब ही जब स्वर्ण कहे उसको गलना है|

यह बात धरो मन में अपने सबका अभिमान यहाँ ढलना है|

 

कविता उपजे मन में तब ही जब शब्द मिले सदभाव मिले हों|

खुशबू बसती उस आँगन में जिसमे मनभावन फूल खिले हों|

मन बीच वही पनपें रिश्ते जिनमे बसते शिकवे न गिले हों|

इक राग तभी सधके निकले जिसके न कहीं सुर ताल हिले हों|

--मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 3606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by narendrasinh chauhan on April 14, 2017 at 1:15pm

खूब सुन्दर रचनाए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2017 at 5:16pm

आद० समर भाई जी,आपको ये सवैये पसंद आये मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया दिल से आभार आपका सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2017 at 5:15pm

आद० बासुदेव अग्रवाल जी ,आपको छंद पसंद आये मेरी महनत सफल हो गई दिल से आपका बहुत बहुत आभार सादर  

Comment by Samar kabeer on April 12, 2017 at 5:59pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत सुंदर सुंदरी सवैया छन्द रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 12, 2017 at 11:26am
वाह आ0 राजेश कुमारी जी एक से बढ़कर एक सुंदरी सवैए रचे हैं। एक सवैया भी पूर्ण विधान के साथ भाव मिला कर रचना आसान नहीं होता। आपने तो अलग अलग भावों पर चार रच दिए हैं। अंतिम छंद तो बहुत ही अच्छा लगा। हृदय से बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2017 at 10:57am

आद० मोहम्मद आरिफ जी ,आपको ये सवैया छंद पसंद आये आपका दिल से बहुत- बहुत आभार| 

Comment by Mohammed Arif on April 11, 2017 at 11:02pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत बेहतरीन सवैया छंद । बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय से अवगत करवाएँगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service