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मीत बन जाइए....मनहरण घनाक्षरी...समीक्षार्थ..//अलका ललित

समीक्षार्थ
मनहरण घनाक्षरी ....(एक प्रयास)
***

 

आशा का प्रकाश कर

बांस को तराश कर

बांसुरी के सुर संग

गीत बन जाइए

.

हौसले पकड़ कर

आँधियाँ पछाड़ कर

बहती नदी सी इक

रीत बन जाइए

मछली पे आँख रहे

धरती पे पाँव रहे

आसमान छू के जरा

जीत बन जाइए

बहुत जीया है इस

दुनिया की सोच कर

अब अपने भी जरा

मीत बन जाइए

.

"मौलिक व अप्रकाशित" 

((चार पदों के इस वर्णिक छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्णों की संख्या ३१ होती है.प्रत्येक चरण में वर्णों की संख्या क्रमशः ८, ८, ८, ७ की यति के अनुसार . तथा, पदान्त लघु-गुरु से हो. ))

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Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 25, 2017 at 7:54pm

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी , उत्साहवर्धन  के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 19, 2017 at 8:22pm
बहुत ही सुन्दर सरस रचना हुई..आदरणीय अशोक जी के सुझाव बेहद खूबसूरत हैं..
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 9:22pm

आदरणीय Ashok Kumar Raktale ji, मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 9:20pm

आदरणीय Samar Kabeer ji , होंसला अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 9:15pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan ji , उत्साहवर्धन  के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर  

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 18, 2017 at 6:29pm
आशा का प्रकाश कर...... अधिक अच्छा है । सादर
Comment by Samar kabeer on April 18, 2017 at 6:20pm
मोहतरमा अलका ललित जी आदाब,अच्छी छन्द रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
बाक़ी जनाब अशोक रक्ताले जी मार्गदर्शन दे ही चुके हैं,उस पर ध्यान दीजियेगा ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 3:39pm

आदरणीय Ashok Kumar Raktale ,नमस्कार , प्रयास को समय देने व् मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार । बहुत सुंदर सुझाव बताये है आपने,.. सुझाव अनुसार एडिट करती हूँ ...एक निवेदन है ..प्रथम चरण के लिए "मन न निराश कर" की जगह "आशा का प्रकाश कर " या "वेदना का नाश कर" सूझ रहा है.... यदि अब सही हो तो एडिट किया जाए ?
...सादर।

Comment by narendrasinh chauhan on April 18, 2017 at 3:11pm

खूब सुन्दर 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 2:52pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी ,नमस्कार , प्रयास पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर 

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