For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मीत बन जाइए....मनहरण घनाक्षरी...समीक्षार्थ..//अलका ललित

समीक्षार्थ
मनहरण घनाक्षरी ....(एक प्रयास)
***

 

आशा का प्रकाश कर

बांस को तराश कर

बांसुरी के सुर संग

गीत बन जाइए

.

हौसले पकड़ कर

आँधियाँ पछाड़ कर

बहती नदी सी इक

रीत बन जाइए

मछली पे आँख रहे

धरती पे पाँव रहे

आसमान छू के जरा

जीत बन जाइए

बहुत जीया है इस

दुनिया की सोच कर

अब अपने भी जरा

मीत बन जाइए

.

"मौलिक व अप्रकाशित" 

((चार पदों के इस वर्णिक छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्णों की संख्या ३१ होती है.प्रत्येक चरण में वर्णों की संख्या क्रमशः ८, ८, ८, ७ की यति के अनुसार . तथा, पदान्त लघु-गुरु से हो. ))

Views: 1034

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 25, 2017 at 7:54pm

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी , उत्साहवर्धन  के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 19, 2017 at 8:22pm
बहुत ही सुन्दर सरस रचना हुई..आदरणीय अशोक जी के सुझाव बेहद खूबसूरत हैं..
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 9:22pm

आदरणीय Ashok Kumar Raktale ji, मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 9:20pm

आदरणीय Samar Kabeer ji , होंसला अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 9:15pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan ji , उत्साहवर्धन  के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर  

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 18, 2017 at 6:29pm
आशा का प्रकाश कर...... अधिक अच्छा है । सादर
Comment by Samar kabeer on April 18, 2017 at 6:20pm
मोहतरमा अलका ललित जी आदाब,अच्छी छन्द रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
बाक़ी जनाब अशोक रक्ताले जी मार्गदर्शन दे ही चुके हैं,उस पर ध्यान दीजियेगा ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 3:39pm

आदरणीय Ashok Kumar Raktale ,नमस्कार , प्रयास को समय देने व् मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार । बहुत सुंदर सुझाव बताये है आपने,.. सुझाव अनुसार एडिट करती हूँ ...एक निवेदन है ..प्रथम चरण के लिए "मन न निराश कर" की जगह "आशा का प्रकाश कर " या "वेदना का नाश कर" सूझ रहा है.... यदि अब सही हो तो एडिट किया जाए ?
...सादर।

Comment by narendrasinh chauhan on April 18, 2017 at 3:11pm

खूब सुन्दर 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on April 18, 2017 at 2:52pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी ,नमस्कार , प्रयास पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service