For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कारपोरेशन की गाड़ी का हूटर बजा और लड़के ने गाड़ी से उतर कर डोर बैल बजाईं, जब मैं घर से बाहर आया तो मल्होत्रा ​​साहिब अपने घर में रखा कूड़ेदान लेकर बाहर आ उस लड़के की तरफ  बढ़ रहे थे ।

"हमारा कूड़ा सुबह सुबह पुराना रेहड़ी वाला ही उठा कि ही ले जाता है" ।

क्योंकि आप तो बहुत देर से आते हैं ।

जब आते हैं तब कोई भी घर नहीं होता "मैने कहा, बच्चे स्कूल व् हम दोनों ड्यूटी जा चुके होते हैं ।

पर वह लड़का अभी भी गेट के पास ही खड़ा था और मल्होत्रा ​​साहिब जा चुके थे ।

मेरी तरफ वह टकटकी लगा कर देख रहा था ।

"साहिब जी, दीवाली" लड़के ने धीरे से सर झुका कर कहा ।

"तुम तो हमारा कूड़ा नहीं उठाते, हम से दीवाली कैसी ........." मुझे पता ही न चला कब मैने इक लंबी तकरीर उस पे कर डाली ।

"नहीं साहिब जी, दीवाली तो बनती है, जो भी देना चाहो, पचास, बीस या दस कुछ तो दो त्यौहार है , साहिब जी"।

मगर फिर मैने ये अचानक ही पूछ लिया, “आप झुकते क्यूँ हो जब मांगते” ।

“मांगेगे तो झुकना ही पड़ेगा, जब हम काम कर लेंगे, तब तो हमारा  हक होगा”। उसने कहा "तनख्वाह तो हम हक से मांगते हैं" लडके ने कहा ।

अगर मांगना है, तो सीधा कैसे खड़ा रह सकते हैं ।

"क्योंकि, ये हमारा हक नहीं, ये सुनते ही मेरा गाँव में बचपन में मांगना भी समझ आने लगा ।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 429

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on April 16, 2017 at 11:12am
आद0 मोहन जी सादर अभिवादन, बेहतरीन लघुकथा लगी मुझे, शेष गुणीजन बताएंगे। बधाई
Comment by Samar kabeer on April 15, 2017 at 5:54pm
जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,कथानक भी ठीक है,लेकिन कसावट की कमी है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on April 15, 2017 at 5:53pm
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी आदाब, बहुत बेहतरीन ,श्रेष्ठ और एक सच्चाई भी उभर आई इस लघुकथा में । कथानक और शिल्प भी स्तरीय है । हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Feb 1
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service