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ग्रीष्म के हाइकु

1. झुलसी काया
आतंकी-सा सूरज
बेचैन सब ।
2.सूनी सड़कें
पसरा है सन्नाटा
जारी खर्राटे ।
3.डाल से टूटे
बरगद के पत्ते
सुनाए राग ।
4. सूखने लगे
पोखर औ तालाब
छोटी रात ।
5.नन्ही चीड़िया
करके जलपान
फुर्र हो जाए ।
6.चैत्र महीना
रात-दिन तपाए
किधर जाएँ ।
7.लू के थपेड़े
साँय-साँय सन्नाटा
सुस्ती में तन ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on April 5, 2017 at 10:11pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी हाइकु सराहना और हौसला अफज़ाई के लिए बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on April 5, 2017 at 10:09pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ।
Comment by Mohammed Arif on April 5, 2017 at 10:08pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी । लेखन को सार्थकता मिली ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 5, 2017 at 8:17pm

आदरणीय आरिफ भाई . गर्मी से परेशान आपके सभी हाइकु बहुत सुन्दर लगे ... हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2017 at 7:02pm

वाह्ह्ह्ह बहुत सुंदर सार्थक हाइकु लिखें हैं आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी दिल से बधाई लीजिये 

Comment by Mohammed Arif on April 4, 2017 at 8:13am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by नाथ सोनांचली on April 4, 2017 at 4:54am
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब सादर अभिवादन। मौसम के अनुकूल बढ़िया हाइकू लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on April 3, 2017 at 9:39pm
हाइकु सराहना के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 3, 2017 at 9:07pm

मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब , मौसम का मंज़र बयान करते खूबसूरत हाइकू
हुए हैं , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ----

Comment by Mohammed Arif on April 3, 2017 at 8:43pm
उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब ।

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