For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़्वाब ...

नींद से आगे की मंज़िल
भला
कौन देख पाया है

बस
टूटे हुए ख़्वाबों की
बिखरी हुई
किर्चियाँ हैं
अफ़सुर्दा सी राहें हैं
सहर का ख़ौफ़ है
सिर्फ
मोड़ ही मोड़ हैं


न शब् के साथ
न सहर के बाद
कौन जान पाया है
कब आता है
कब चला जाता है
ज़िस्म की
रगों में
हकीकत सा बहता है
अर्श और फ़र्श का
फ़र्क मिटा जाता है
सहर से पहले
जीता है
सहर से पहले ही
मर जाता है
अधूरी सी चाहतों को
पूरा करने की
तमन्नाओं की
गठरी लिए
इंसान का साया
जीने का

ख़्वाब

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on March 30, 2017 at 6:45pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'जी प्रस्तुति को अपनी मन मुदित करती प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार। आदरणीय कुछ पारिवारिक व्यस्तताओं के कारण मैं मंच पूर्ण रूप से सक्रिय नहीं हो पा रहा हूँ इसी कारण मैं आपकी रचनाओं से वंचित रहा जिसका मुझे दुःख है। मैं शीघ्र ही आपके दर पर आऊंगा। स्नेह के लिए हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on March 30, 2017 at 6:43pm

आदरणीय समीर कबीर साहिब रचना में निहित भावों को अपना आत्मीय स्नेह देने का दिल से आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on March 29, 2017 at 7:38am
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन, हमेशा की तरह एक उम्दा सृजन,बधाई आपको।
एक प्रेमपूर्वक शिकायत है आपसे, मेरी रचनाओं पर आपका आशीष नही मिल पाता, मैं भी अपनी रचनाओं पर आपके माध्यम से प्रशंशा, सुझाव और आलोचना पाने को आतुर रहता हूँ।
Comment by Samar kabeer on March 28, 2017 at 9:49pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,वाह बहुत ख़ूब, हमेशा की तरह शानदार कविता,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on March 28, 2017 at 2:50pm

आ.मोहित मुक्त जी प्रस्तुति में निहित भावों को अपने स्नेह से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service