For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - कह दिये , हर वास्ता जाता रहा ( गिरिराज भंडारी )

2122     2122       212  

दिल से जब नाम-ए ख़ुदा जाता रहा

दरमियानी मो’जिजा जाता रहा

 

ख़ुद पे आयीं मुश्किलें तो, शेख जी

क्यूँ भला हर फल्सफ़ा जाता रहा

 

जो इधर थे हो गये जब से उधर

कह दिये , हर वास्ता जाता रहा

 

अब ख़बर में वाक़िया कुछ और है

था जो कल का हादसा जाता रहा

 

गर हुजूम –ए शहर का है साथ , तो  

जो किया तुमने बुरा जाता रहा

 

आँखों में पट्टी, तराजू हाथ में

जब दिखे, तो हौसला जाता रहा

 

कह ज़दीद, अब का ज़माना और है

वक़्त कल का इश्क़िया, जाता रहा

*********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

मो' जिजा = चमत्कार , फल्सफा = दर्शन ( शास्त्र ) , ज़दीद = आधुनिक

Views: 996

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 25, 2017 at 7:29pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

दिल से जब नाम-ए-ख़ुदा जाता रहा
दरमियानी मो'जिज़ा जाता रहा

ऊला मिसरे से सानी मिसरे का रब्त पैदा नहीं हो रहा है,"मो'जिज़ा"
अरबी भाषा का शब्द है,आपने इसका अर्थ चमत्कार लिखा है,मुमकिन है ये अर्थ आपने किसी शब्दकोष में देखा होगा,"मो'जिज़ा"शब्द का अर्थ है,'आजिज़ करने वाला','नबी की करामात'जो सिर्फ़ नबी ही कर या दिखा सकता है ।
इस पस-ए-मंज़र में आपका मतला ऊला मिसरे से मेल नहीं खा रहा है,'मो'जिज़ा'ऐसी चीज़ नहीं जो जाती आती रहे,और नबी भी ये करामात कभी कभी ही दिखाते थे,इसलिये मेरे ख़याल से आपको सानी मिसरा दूसरा कहना चाहिये ।
Comment by Sushil Sarna on January 25, 2017 at 7:29pm

दिल से जब नाम-ए ख़ुदा जाता रहा
दरमियानी मो’जिजा जाता रहा

ख़ुद पे आयीं मुश्किलें तो, शेख जी
क्यूँ भला हर फल्सफ़ा जाता रहा

बहुत खूब आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब ... कितनी सही बात कितने सरलता से आप कह गए. .... नमन आपको और आपकी कल्पनाशीलता को ... इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सर।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 25, 2017 at 7:27pm
आदरणीय गिरिराज भाईसाब समय के साथ सवालात बदल जाते है समय के साथ खयालात बदल जाते है हमेशा की तरह आपके ग़ज़लों के गुलदस्तर में जुड़ती एक और शानदार कड़ी उर्दू के नए शब्दों का अर्थ मिलने से जहाँ ग़ज़ल को समझने में आसानी होती है इस सम्बन्ध में पूर्व में आपसे निवेदन को मान मिलने से अपार खुशी भी होती है रचना पर हार्दिक बधाई गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं और सादर पर्सनाम के साथ
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 25, 2017 at 7:27pm
आदरणीय गिरिराज भाईसाब समय के साथ सवालात बदल जाते है समय के साथ खयालात बदल जाते है हमेशा की तरह आपके ग़ज़लों के गुलदस्तर में जुड़ती एक और शानदार कड़ी उर्दू के नए शब्दों का अर्थ मिलने से जहाँ ग़ज़ल को समझने में आसानी होती है इस सम्बन्ध में पूर्व में आपसे निवेदन को मान मिलने से अपार खुशी भी होती है रचना पर हार्दिक बधाई गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं और सादर पर्सनाम के साथ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 25, 2017 at 6:43pm

आदरणीय गिरिराज सर, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर-दर-शेर दाद-ओ-मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on January 25, 2017 at 1:46pm
आदरणीय गिरिराज जी सादर अभिवादन, बहुत बढ़िया गजल लगी। मतले से लेकर अंत तक हर ग़ज़ल लाजबाब, दाद के साथ मुबारकबाद कबूल फरमाये। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 25, 2017 at 11:58am

जो इधर थे हो गये जब से उधर

कह दिये , हर वास्ता जाता रहा----waahhhhh bahut sundar 

गर हुजूम –ए शहर का है साथ , तो  

जो किया तुमने बुरा जाता रहा-----haan sach me esaa hi hota hai .

bahut umda ghazal hui daad sweekaren aadrneey giriraj ji .hindi converter kaam nahi kr raha 

 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service