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कुहरे की इक चादर ओढ़े, देखो जाड़ा आया है |
लगातार गिरते पारे ने, फिर कुहराम मचाया है||

इसके आगे आज सभी ने, अपना शीश नवाया है |
सूरज का तेज हुआ मद्धिम, चाँद खूब मुस्काया है ||

हर कोई यहाँ दिख रहा है, मख़मली दुशाला ओढ़े |
कपड़े सबके ऊनी फिर भी, साथ न यह जाड़ा छोड़े ||

कही ठिठुरते दादा दादी, कही काँपती नानी है |
कही रात भर गिरता पाला, कही बर्फ सा पानी है ||

सन-सन चलती हवा रात दिन, थर-थर हाड़ कपाती है |
जलता अलाव मिले जहाँ भी, भीड़ वही लग जाती है ||

बच्चे हों या बूढ़े जवान, सबकी एक कहानी है |
रोज नहाने में ही अक्सर, होती आनाकानी है ||

कम्बल ओढ़े आग तापते, देह नही गरमाती है |
बिस्तर कोई जैसे छोड़े, गर्म चाय ललचाती है ||

साथ बैठ मूंगफली खाते, आपस में गपियाते हैं |
जिस दिन भी छुट्टी हो अपनी, पिकनिक खूब मनाते हैं ||

छत पर बैठे धूप सेंकते, पेपर पढ़ते जाते हैं |
अच्छी बुरी खबरों के बीच, मन ही मन मुस्काते हैं ||

साथ मटर छिलते सारे गर, होता कुछ बनवाना है |
जाड़े भर खाने को मिलता, तिल गुड़ लाई दाना है ||

गरम पकौड़ी चिप्स रेवड़ी, मम्मी लगी बनाने में
शकरकंद आलू सिंघाड़ा, सबको मिलता खाने में ||

बच्चे पतंग खूब उड़ाते, बाघ कटा चिल्लाते हैं |
जाड़े में मस्ती वो करते, दिनभर उधम मचाते हैं ||

मौलीक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on January 27, 2017 at 8:33pm
आदरणीय सुरेंद्रजी, जाड़े पर सटीक रचना , बधाई !

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Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2017 at 8:21pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , जाड़े पर अच्छी रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ । लय साधने मे कुछ कमियाँ हैं , ख्याल कीजियेगा ।

Comment by pratibha pande on January 25, 2017 at 9:14pm

सर्दी का स्वाद भर गया मुहँ  में   ढेरों बधाई आपको इस रचना के लिए आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी 

Comment by नाथ सोनांचली on January 25, 2017 at 3:02am
आदरणीय सुशील सरना जी आभार आपका हौसला अफजाई के लिए
Comment by Sushil Sarna on January 24, 2017 at 8:12pm

आदरणीय सर्दी के हालातों की खूब मंज़रकशी की आपने।  इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई । 

Comment by Sushil Sarna on January 24, 2017 at 8:12pm

आदरणीय सर्दी के हालातों की खूब मंज़रकशी की आपने।  इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई । 

Comment by नाथ सोनांचली on January 24, 2017 at 4:22pm
आदरणीय समर साहब प्रणाम, रचना पर हौसला अफ़जाई के लिए हृदय तल से आभार
Comment by Samar kabeer on January 24, 2017 at 2:37pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,जाड़े पर अच्छी प्रस्तुति है, बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on January 24, 2017 at 4:10am
आद0 मोहम्मद आरिफ जी हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार
Comment by Mohammed Arif on January 23, 2017 at 5:35pm
आदरणीय सुरेंद्रजी, आदाब ! जाड़ेंं का अहसास कराती रचना के लिए बधाई स्वीकार करें ।

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