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न जाने क्यों उनका इंतज़ार करती हूँ
न आये कभी जो उनसे प्यार करती हूँ

देखा था उनकों पहली बार जब
नयन से नयन मिले थे तब
कशिश थीं उनकी आँखों में
डूबती गयी उनकी बाँहों में ।

स्पर्श था प्रथम वो मेहबूब का
एहसास था प्यार का प्रीत का
थामा जब हाथ उन्होंने मेरा
तब शर्माया था दामन मेरा ।


एक ख़्वाब ही तो था
जो प्यार का एहसास था
वो दर्द दे गया है मुझे
आह निकली है मुख से ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:40pm
धन्यवाद आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:29pm
धन्यवाद आदरणीय गिरिराज सर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:29pm
धन्यवाद आदरणीय महेंद्र जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:28pm
धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र सर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:28pm
धन्यवाद आदरणीय डॉ आशुतोष जी ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2017 at 7:53pm

बढ़िया  प्रयास हुआ है .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2017 at 5:24pm

आदरनीय कल्पना जी , अच्छी नज़्म हुई है .... दिली मुबारक बाद आपको इस नज़म के लिये ।

Comment by Mahendra Kumar on January 3, 2017 at 1:26pm
आदरणीया कल्पना जी, बढ़िया भावात्मक प्रस्तुति है। मेरी तरफ से हार्दिक बधाई प्रेषित है। सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2017 at 1:12pm
आद0 कल्पना भट्ट जी सदर अभिवादन, बेहतरीन भावाभियक्ति के लिए हार्दिक बधाई निवेदित है, आप बहुत बेहतरीन सर्जना की हैं। पुनश्च नमन
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 3, 2017 at 12:44pm

आदरणीया कल्पना जी इस सुंदर भावाभिव्यक्ति के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें .सादर 

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