For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")



दुःख बिसराये
सुख को लाये
ऐसा गीत गाऊँ मैं
खट्टी  मीठी यादों को
थोड़ा सा गुन गुनाऊं मैं
दूर खड़ा पर्वत पुकारे
चलकर उसतक जाऊं मैं
बादलों से बरसे पानी
झूम झूम कर नाचूँ मैं
खेत बुलाये, परिंदे पुकारें
बोली उनकी समझूँ मैं
नाच उठे मनवा मेरा
गीत ऐसा कोई गाऊँ मैं |

बहती नदी , बहता झरना
कलकल इनकी सुन लूँ मैं
किनारे से टकराती लहरों से
कुछ देर बातें कर लूँ मैं
देखकर वहां गोरी कलाई
बैठकर कुछ देर निहारूँ मैं
सूरज की तपती किरणों से
कुछ देर लड़ जाऊं मैं |

इतराती तितलियों को देख
मन ही मन खुश हो जाऊं मैं
भंवरों की मधुर गुंजन से
मंत्र मुग्ध हो जाऊं मैं |

सुंदर धरती , नीला अम्बर
कैसे खुद को रोक पाऊं मैं
देखकर हर सुंदर चीज़ को
फिर एक नया गीत गाऊँ मैं |

मौलिक एवं अप्रकाशित



Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2017 at 10:49pm

प्यारा मासूम सा गीत लिखा है प्रिय कल्पना जी ...बहुत खूब हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:38pm
धन्यवाद आदरणीय डॉ आशुतोष जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:38pm
धन्यवाद आदरणीय जयनित जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:37pm
धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सर जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:37pm
धन्यवाद आदरणीय विजय निकोरे सर जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 8:36pm
धन्यवाद आदरणीय गिरिराज सर जी ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 3, 2017 at 10:53pm
आदरणीया या शानदार गीत के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें मात्ताओं के लिहाज से जानना चाहता था इस गीत में मात्राएँ किस तरह समायोजित है
Comment by जयनित कुमार मेहता on January 3, 2017 at 8:55pm
आदरणीया कल्पना जी, आपने अपने चेतन में दबी आकांक्षाओं को कविता में पिरोने में सफलता प्राप्त की है। इसके लिए हार्दिक बधाई आपको।
Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2017 at 12:51pm
आदरणीया कल्पना जी सादर अभिवादन, उम्दा गीत पर बधाई आपको
Comment by vijay nikore on January 3, 2017 at 11:21am

मनोरम गीत के लिए बधाई, आदरणीया कल्पना जी। नव वर्ष आपके लिए मंगलमय हो।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
23 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service