ग़ज़ल(तुम सदा मुस्कराना नये साल में )
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(फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन)
क़ौले उलफत निभाना नये साल में |
मुझ को मत भूल जाना नये साल में |
क्यूँ हैं बाहर खड़े घर में आ जाइए
कीजिए मत बहाना नये साल में |
हाथ ही मिल सके अपने बीते बरस
दिल को दिल से मिलाना नये साल में |
इक कॅलंडर नया घर की दीवार पर
है ज़रूरी लगाना नये साल में |
सिर्फ़ गमगीन आशिक़ की ख्वाहिश है यह
तुम सदा मुस्कराना नये साल में |
फिर से हो जाए या रब दुआ है मेरी
उनके घर आना जाना नये साल में |
अब तो तस्दीक़ हद हो चुकी ज़ुल्म की
तुम क़लम को उठाना नये साल में |
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मुहतरम जनाब महेन्द्र कुमार साहिब , ग़ज़ल में गहराई शिरकत और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
मुहतरम जनाब गोपाल नारायण साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
आ० तस्दीक भाई , बहुत बढ़िया
अब तो तस्दीक़ हद हो चुकी ज़ुल्म की
तुम क़लम को उठाना नये साल में
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