For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रजातंत्र के देश में, परिवारों का राज

वंशवाद की चौकड़ी, बन बैठे अधिराज |

वंशवाद की बेल अब, फैली सारा देश

परदेशी हम देश में, लगता है परदेश  |

लोकतंत्र को हर लिये, मिलकर नेता लोग

हर पद पर बैठा दिये, अपने अपने लोग |

हिला दिया बुनियाद को, आज़ादी के बाद

अंग्रेज भी किये नहीं,  तू सुन अंतर्नाद |

संविधान की आड़ में, करते भ्रष्टाचार

स्वार्थ हेतु नेता सभी, विसरे सब इकरार |

बना कर लोकतंत्र को, खुद की अपनी ढाल

लूट रहे नेता सकल, जनता का सब माल |

हर पद पर परिवार के, सदस्य विराजमान

विनाश क्या होगा कभी, रक्तबीज संतान ?

प्रजा करे अब फैसला, करे साफ़ परिवार

जनता से मंत्री बने, मिले राज अधिकार |

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 1737

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 14, 2016 at 11:33pm

आदरणीय रामबली  जी !

पंचकल शब्दों की बनावट तीन प्रकार से हो सकती है 122,221 या 212 के रूप में। यदि कोई पंचकल शब्द की बनावट 122 प्रकार की होगी तो त्रिकल या एकमात्रिक शब्द उक्त पंचकल शब्द के पूर्व रखना चाहिए। इसी प्रकार 221 प्रकार के पंचकल शब्द के पश्चात त्रिकल या एकमात्रिक शब्द रखे जाने चाहिए। किन्तु 212 प्रकार के पंचकल शब्दों में त्रिकल या एकमात्रिक शब्द पूर्व या पश्चात कहीं भी रख सकते हैं प्रवाह ठीक होगा। इसी प्रकार त्रिकल शब्दों को लेकर कलों के संयोजन में भी ध्यान दिया जाना चाहिए।---आपकी यह बात तो मेरी समझ मे आ गई , शायद गेयता की समस्या अब दूर हो जाय |

/span>

"अंग्रेज भी किये नही"
में देखने में तो 13 मात्रा अवश्य है किन्तु शब्द-कलों की व्यवस्था दुरुस्त नही है। जिसके कारण गेयता में अटकाव है। अंग्रेज एक पंचकल(221) शब्द है इसके बाद कोई त्रिकल या एकमात्रिक शब्द रखने पर प्रवाह सही होता।
अंग्रेज को मैंने २२१ लिया है |आपके अनुसार इसको " अंग्रेज किये तो नहीं "  २२/१ १२ /२१/२ ठीक होगा ?

इसी प्रकार-
"बना कर लोकतंत्र को" में भी गेयता भंग है और कारण वही शब्द-कलों की दुर्व्यवस्था ही है। 'बना' त्रिकल शब्द है इसके बाद त्रिकल या एकमात्रिक शब्द रखा जाना ही बेहतर होगा।सादर
"बना कर लोकतंत्र को"- यहाँ 'बना, 'लोक' 'तंत्र ' तीन त्रिकल शब्द है इसीलिए  किसी दो के बीच में एक द्विकल शब्द आयगा ही पहले मैंने लिखा था "अब लोक तंत्र को बना, खुद की अपनी ढाल " यहाँ भी 'तंत्र' और 'बना' के बीच में 'को' है| इसका समाधान केवल इसी से हो सकता है कि "कर ' और 'को' के बदले कोई चतुश्कल शब्द मिले जिसका अर्थ भी फिट हो |
सादर  
 
Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 14, 2016 at 10:29pm

आदरणीय सुरेश कुमार जी ,आपका हार्दिक आभार |

सादर 

Comment by रामबली गुप्ता on September 14, 2016 at 10:22pm
पंचकल शब्दों की बनावट तीन प्रकार से हो सकती है 122,221 या 212 के रूप में। यदि कोई पंचकल शब्द की बनावट 122 प्रकार की होगी तो त्रिकल या एकमात्रिक शब्द उक्त पंचकल शब्द के पूर्व रखना चाहिए। इसी प्रकार 221 प्रकार के पंचकल शब्द के पश्चात त्रिकल या एकमात्रिक शब्द रखे जाने चाहिए। किन्तु 212 प्रकार के पंचकल शब्दों में त्रिकल या एकमात्रिक शब्द पूर्व या पश्चात कहीं भी रख सकते हैं प्रवाह ठीक होगा। इसी प्रकार त्रिकल शब्दों को लेकर कलों के संयोजन में भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

उपर्युक्त बातें मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित हैं संभव मैं गलत भी होऊं।सादर
Comment by रामबली गुप्ता on September 14, 2016 at 9:56pm
यदि सिर्फ शिल्प के दृष्टिकोण से देखें तो-
"अंग्रेज भी किये नही"
में देखने में तो 13 मात्रा अवश्य है किन्तु शब्द-कलों की व्यवस्था दुरुस्त नही है। जिसके कारण गेयता में अटकाव है। अंग्रेज एक पंचकल(221) शब्द है इसके बाद कोई त्रिकल या एकमात्रिक शब्द रखने पर प्रवाह सही होता।
इसी प्रकार-
"बना कर लोकतंत्र को" में भी गेयता भंग है और कारण वही शब्द-कलों की दुर्व्यवस्था ही है। 'बना' त्रिकल शब्द है इसके बाद त्रिकल या एकमात्रिक शब्द रखा जाना ही बेहतर होगा।सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 14, 2016 at 8:59pm
प्रजातंत्र के देश में, परिवारों का राज
वंशवाद की चौकड़ी, बन बैठे अधिराज।।

वंशवाद की बेल अब, फैली सारा देश
परदेशी हम देश में, लगता है परदेश।।यहाँ कात्य स्पष्ट नहीं

लोकतंत्र को हर लिये, मिलकर नेता लोग
हर पद पर बैठा दिये, अपने अपने लोग।।इसे और अच्छे तरीके से कहा जा सकता है

हिला दिया बुनियाद को, आज़ादी के बाद
अंग्रेज भी किये नहीं, तू सुन अंतर्नाद।।यहाँ भी गड़बड़ है

संविधान की आड़ में, करते भ्रष्टाचार
स्वार्थ हेतु नेता सभी, विसरे सब इकरार।।संविधान की आड़ में??

बना कर लोकतंत्र को, खुद की अपनी ढाल
लूट रहे नेता सकल, जनता का सब माल।गेयता भांग है 1 पद

हर पद पर परिवार के, सदस्य विराजमान
विनाश क्या होगा कभी, रक्तबीज संतान।यहाँ भी वही दोष

प्रजा करे अब फैसला, करे साफ़ परिवार
जनता से मंत्री बने, मिले राज अधिकार।ये दोहा ही गलत है

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 14, 2016 at 8:43pm

भाई राम शिरोमणि जी, किसी ने आदरणीय कालीपद जी के दोहों केशिल्प पक्ष पर कुछ नहीं कहा है. चर्चा अन्यान्य विन्दुओं पर हुई है. आप इनके शिल्प पक्ष पर अपने विन्दु रखें. 

Comment by रामबली गुप्ता on September 14, 2016 at 8:37pm
हमारे कहे को मान देने के लिए आद0 सौरभ सर एवं आद0 सुरेश भाई जी आप दोनों का आभार।
Comment by ram shiromani pathak on September 14, 2016 at 8:34pm
सुन्दर दोहे आदरणीय।बधाई आपको
शिल्प कथ्य व् गेयता पर गुणीजनों ने कह दिया है।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 14, 2016 at 8:18pm

आदरणीय कालीपद जी, आपकी  प्रस्तुति पर हृदयतल से धन्यवाद और शुभकामनाएँ . मैं इन दोहों के शिल्प पर बाद में आता हूँ. यह् आधिक आवश्यक भी है. लेकिन पहले दोहे की प्रकृति पर मैं पुनः कह दूँ कि भाई रामबली के कहे पर ग़ौर कीजिये. उन्होंने वही कुछ कहा है जो दोहे छन्द की प्रकृति के अनुसार सही है. मंच पर आयोजनों में भी मैं इस विन्दु पर कई-कई दफ़े कह चुका हूँ, कहता आ रहा हूँ.

इस परिप्रेक्ष्य आपकी कोई दलील अमान्य ही होगी, आदरणीय. क्योंकि आप जो कुछ कह रहे हैं वह अपनी समझ के अनुसार कह रहे हैं. मुसलसल ग़ज़ल से दोहा की तुलना न करना ही उचित होगा.
सादर

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 14, 2016 at 7:55pm
आदरणीय श्री कालीपद जी सुन्दर एवं भावप्रद दोहों के लिए हार्दिक बधाई । बाकी आदरणीय रामबली गुप्ता जी ने जो कहा है उस पर भी ध्यान दें सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service