घुर्र्र घुर्र.. फट. फट..फट..फट ... “या अल्लाह आग लगे इसकी फटफटिया को मरदूद कहीं का जब देखो हमें फूँकने के लिए घर के सामने ही फट फट करता रहता है इसे दूसरे के सिर दर्द की क्या परवाह ” |
“बस करो.. बस करो.. बेगम, क्यूँ बिला बजह कोसती रहती हो, आग लगे.. आग लगे.. हरदम यही बददुआ देती रहती हो खुदा से डरो मोटरसाइकिल है तो आवाज तो करेगी ही”|
“बस बस!! तुम तो चुप ही रहो तुम्हें कुछ समझ नही आता| अब्बाजान को भी कितनी तकलीफ होती है ये तेज आवाज सुनकर मालूम है ” |
“किसी को कोई तकलीफ नही होती बल्कि मैं तुम्हारी तकलीफ अच्छी तरह से जानता हूँ एक ही फेक्ट्री में एक ही ओहदे पर होने के कारण मेरे घर साइकिल तो पड़ोसी के घर मोटरसाइकिल कैसे आ गई? यही है न तुम्हारे सिर दर्द का कारण? अरे, उनकी कुछ पुश्तैनी जायदाद भी तो है जो अपने पास नही है समझा कर” |
“ओ बहन जी आपके बेटे को होश आया है जल्दी जाओ आपको बुला रहा है”
वार्डब्वाय के शब्द सुनकर रेहाना एकदम से वर्तमान में लौट आई उठकर अन्दर की तरफ भागी जहाँ उसका आठ वर्ष का बेटा झुलसा हुआ जिन्दगी से जद्दोजहद कर रहा था |
“हाय मेरे बच्चे, ये सब क्या कैसे हो गया?? कैसा है तू ? किंतनी बार कहा था वहाँ खेलने मत जाया कर पर तुम्हें तो उस फटफटिया की सवारी मुँह लग गई थी न अपने बाप की साइकिल थोड़े ही अच्छी लगती थी” |
“अम्...मी अम्मी ,अ. अ.. अब तो आ..आप खुश हैं न... शकील भाई जान की फटफटिया जल गई... अब तो.. दद्दू को तकलीफ नहीं होगी ना”? आ..प अब्बू से लड़ाई नही करोगी ना” ?
“अम्मी, मैं वहाँ खेलने नहीं गया था ..मैं घर से माचिस लेकर गया था”|
और बोलते- बोलते बच्चे का सिर अम्मी की गोद में लुढक गया |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आद० कांता जी ,लघु कथा पर उत्साहित करती हुई इस प्रतिक्रिया से लेखन धन्य हो गया लघु कथा के मर्म पर आपने अपने विचार रखे आपकी बातें बिलकुल सही हैं और इस लघु कथा में निहित सन्देश यही है |आपका दिल से बहुत- बहुत आभार|
आद० सुशील सरना जी ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक होगया बहुत बहुत शुक्रिया |
आद० समर भाई जी,आपको लघु कथा पसंद आई उसके मर्म का अनुमोदन पाकर मन प्रसन्न हो गया आपका दिल से बहुत- बहुत आभार
आदरणीया राजेश कुमारी जी इस मार्मिक और संदेशात्मक सुंदर लघु कथा की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
प्रिय राहिला जी, मेरी लघु कथा के सर्वप्रथम पाठक के रूप में आपका हार्दिक स्वागत है |आपको लघु कथा पसंद आई शिक्षाप्रद लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका |
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