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गीत (सार छंद)/सतविन्द्र कुमार

गीत(सार छ्न्द)प्रयास
-------–
आज पड़े सावन के झूले,सबके मन हर्षाते
भूल गए मुझको तो साजन,याद बहुत हैं आते

बूँद पड़े जब तन पर मेरे तन शीतल हो जाता
आग लगी अंतस में जो है उसको कौन बुझाता
प्रेम पर्व पर प्रियतम सबको,जानूँ खूब सुहाते
भूल गए मुझको तो साजन याद बहुत हैं आते।1।

सोहे सभी सिंगार सहेली जब, साजन हो संगी
बिन साजन के सजना भी तो, लगता है बेढंगी
सारे हार सिंगार सजन जी ,तुझे रिझाने लाते
भूल गए मुझको तो साजन याद बहुत हैं आते।2।

हर त्यौहार मने खुशियों से,जब प्रियतम तुम साथी
दोनों मिलकर ख़ुशी मनाएँ, चलते हम सह पाथी
प्रियतम तेरा साथ हुआ तो, दुख भी सब कट जाते
भूल गए मुझको तो साजन याद बहुत हैं आते।3।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 10, 2016 at 5:25pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर हार्दिक आभार,संग नमन
Comment by Shyam Narain Verma on August 8, 2016 at 2:50pm
सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 7, 2016 at 10:20pm
गीत को पसंद करने और हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया आदरणीया राहिल जी।सादर
Comment by Rahila on August 7, 2016 at 9:39pm
सावन के गीत तो हमेशा से मन हर्षाते हैं।आपका गीत भी अनुपम बन पड़ा।बहुत बधाई आपको इस सुंदर प्रस्तुति के लिए।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 7, 2016 at 5:15pm
आभार आदरणीय बृजेश ब्रज जी।सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2016 at 9:53pm

अति सुन्दर भाव रचना.....हार्दिक बधाई 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2016 at 8:06pm
अनुमोदन कर प्रयास की सराहना करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी।सादर नमन
Comment by Sushil Sarna on August 6, 2016 at 7:51pm

हर त्यौहार मने खुशियों से,जब प्रियतम तुम साथी
दोनों मिलकर ख़ुशी मनाएँ, चलते हम सह पाथी
प्रियतम तेरा साथ हुआ तो, दुख भी सब कट जाते
भूल गए मुझको तो साजन याद बहुत हैं आते।3।

बहुत खूब आदरणीय सतविंदर जी .... बहुत ही मनभावन भावों का सृजन हुआ है। इस सुंदर कृति के लिए हार्दिक बधाई।

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