For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आईने तो आईने हैं ...

आईने तो आईने हैं ...

क्यूँ ,आखिर क्यूँ
आईनों से बात करते हो
ये करीबियां ये दूरियां
सब फ़िज़ूल हैं
कांच के टुकड़ों की तरह
टूटे हुए ज़ज़्बात
कब जुड़ पाते हैं
गर्द की आंधियां
ज़र्द पत्तों पर ही कहर ढाती हैं
बेज़ान जिस्मों पर
कब कोई तरस खाता है
बेमन से ही सही
हर कोई उसे ख़ाके सुपुर्द कर जाता है
कुछ भी तो हासिल न होगा
यूँ अपने अक्स से बात करके
हर सवाल मुंह चिढ़ाएगा
हर जवाब मुहं मोड़ जाएगा
आँखों का भीगापन
क्या आईना महसूस कर पाएगा
बारिशों के वो रूमानी लम्हात
क्या वो लौटा पायेगा
न न ! ये शायद मुमकिन नहीं
आईना कभी वो नहीं दिखाता
जो हम देखना चाहते हैं
सिर्फ हम ही हम
उसमें नज़र आते हैं
रूहानी अहसास गुम से रहते हैं
आईने तो आईने हैं
जिनमें कोई दर्दों गम नहीं होता
बस मजबूरी के पैरहन में
बेजान और बेआवाज़
अपने ही जिस्म
उसकी दहलीज़ पर
रक्स करते नज़र आते हैं
आईनें तो वहीं रहते हैं मगर
अक्स बदल जाते हैं
बाहर अब्र बरसें न बरसें
मगर अब्र आँखों के
आईनों में बरस जाते हैं

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 382

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 19, 2016 at 9:51pm

आदरणीय   SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR   जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का दिल से आभार। 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 19, 2016 at 5:35pm

कुछ भी तो हासिल न होगा 
यूँ अपने अक्स से बात करके 
हर सवाल मुंह चिढ़ाएगा 
हर जवाब मुहं मोड़ जाएगा 
आँखों का भीगापन 
क्या आईना महसूस कर पाएगा ..

सुशील जी ..बहुत सुन्दर भाव ..अच्छी रचना ...
भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service