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कर्जा
दूर तक सुनहरा रंग चमक रहा है गेहूं की फसल पककर तैयार है। दूर दूर तक जहाँ तक नजर जाती है बस वो बूढा बरगद ही हरियाली का परचम उठाये है वरना हर तरफ सुनहरी चमक से आंखे चुंधिया जाए । मंद मंद बहती पुरवा के साथ गेहूं की बालियां लयबद्ध होकर झूम रही है । सूरज एकदम सर पर सवार है गरमी से बदन जल रहा है । लेकिन रामसुख को तनिक भी परवाह नहीं ,उसका हाथ एकदम तेजी से चल रहा है मानो हाथ में मोटर फिट हो सिर्फ हंसिया की कचर कचर ही गूंज रही है ।
चेहरे के पसीने को गमछे से पोंछकर सर पर रख लिया उसने और सुस्ताने के अंदाज से पीछे पडे घास के ढेर को देखा ।
तीन बोझा हो जाएगा लगभग अब जल्दी से साइकिल पर बांध के दो बोझा अपने यहाँ और एक बोझा मुखियाजी के बथान पर रख आएगा । साइकिल पर बोझा बांधते वक्त गेहूँ की बाली पैर को छू गई अजीब सी सिहरन दौड गई हसरत से देखा उसने खेत की ओर अभी पिछले फसल पर ही तो वो मालिक किसान था इस खेत का । अंतिम समय में बारिश हो गया और पूरी तैयार फसल गोबर हो गई । मुखिया ने कहा की सरकारी मदद मिलेगी उसी चक्कर में घूमता रहा तो महीने भर में खीसे की पाई भी खर्च हो गई । जिला तहसील की ठोकर मिली सो अलग । दो बार तो बोलेरो भाडा करके मुखिया को भी ले गये थे कलेक्टर से मिलने की साहब मदद नहीं तो कम से कम मोहलत ही दिलवा दो बैंक वालों से ।
लेकिन कुछ न हुआ बैंक वालों ने निलामी करादी । वो तो भला हो निलामी में मुखियाजी ने जमीन खरीद ली जो ईज्जत रह गई वरना तो घर भी कुर्क कर लेते । रोज एक बोझ घास पहुंचा कर शायद मुखिया जी के इस अहसान का मोल चुक जाए।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:22pm

यह लघुकथा मन को छू गई। हार्दिक बधाई।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 2, 2016 at 8:28pm
सारे परिदृश्य और दशा को बढ़िया शाब्दिक किया है आपने। बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय कुमार गौरव जी।
Comment by Rahila on April 2, 2016 at 6:34pm
बहुत अच्छा चित्रण गरीब किसान के हालातों का । बहुत बधाई आदरणीय! सादर
Comment by Nita Kasar on April 1, 2016 at 5:11pm
किसान की पीड़ा क्या करें जब फ़सल ख़राब हो जाये,खीसे की पाई (जेब से पैसे )भी ख़र्च हो गई ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद०कुमार गौरव जी ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2016 at 5:02pm

भाई कुमार गौरव जी रचना पसंद आयी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Samar kabeer on April 1, 2016 at 3:12pm
जनाब कुमार गौरव जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी लघुकथा,बधाई स्वीकार करें ।

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