For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमासी रात मेरे घर के तारे ..

बह्र:-1222-1222-1222-1222
अमासी रात मेरे घर के तारे छीन लेती है।।
तूफानी रात आये तो गुजारे छीन लेती है।।

मैं आँखें बन्द रखता हूँ मेरी यादें छुपा कर के।
खुला पाती है जब भी वो नज़ारे छीन लेती है।।

मेरी किस्मत को ऐ मालिक कभी उम्दा भी लिख्खा कर।
ये हसरत जिन्दगानी के सहारे छीन लेती है।।

नशा जिनको है दौलत का उन्हें कोई ये समझाए।
ये लत हमसे जरुरत में हमारे छीन लेती है।।

नहीं है हमजुबां कोई मेरा इस दौर हाजिर में।
कसक इतनी मेरे दिल से शरारे छीन लेती है।।

किसी रददी से कागज को जो हालेदिल बयाँ कर दूँ।
कोई कविता गजल बनकर के सारे छीन लेती है।।
मौलिक/ अप्रकाशित
आमोद बिन्दौरी

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2016 at 11:47am

वाह वाह बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है आपने सभी अशआर शानदार हुए जिसके लिए दिल से बधाई लीजिये आमोद जी .मक्ते के  सानी में कुछ अटकाव एवं  भाव सम्प्रेषण में कमी सी  महसूस हो रही  है इसे ऐसे लिखें तो कैसा रहे 

ग़ज़ल बन कोई/मेरी कविता भाव सारे छीन लेती है |

Comment by Rahila on March 30, 2016 at 1:17am
नहीं है हमजुबां कोई मेरा इस दौर हाजिर में।
कसक इतनी मेरे दिल से शरारे छीन लेती है।। वाह्ह. .शानदार लिखते है आप आदरणीय आमोद जी! काबिले तारीफ़ है आपकी ग़ज़ल । यूं ही पढ़ती रही इस मंच पर इतनी उम्दा ग़ज़ले तो यकीनन ग़ज़लो का शौक हो जायेगा । बहुत बधाई ।सादर
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 29, 2016 at 10:06pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय आमोद जी। दाद कुबूल करें

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 28, 2016 at 12:45pm
आ रामबली सर आप को सादर नमन
सर गजल की बिधा में हम बिलकुल नए है । कभी अच्छा तो कभी बहुत बुरा लिख जाता है । कोई गुरु न होने के कारण अकेले ही साहित्य का पथ चल रहे हैं। इसलिए त्रुटि के लिए सदा क्षमा प्रार्थी हूँ । .....कृपया मार्गदर्शन स्नेह देते रहें
Comment by रामबली गुप्ता on March 28, 2016 at 12:22pm
वाह वाह वाह क्या खूब ग़ज़ल कही आ.आमोद जी
Comment by Samar kabeer on March 28, 2016 at 11:52am
समीर नहीं जनाब 'समर'
Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 28, 2016 at 11:34am
आकांता दीदी उत्साह वर्धन और स्नेह के लिए सादर नमन....
Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 28, 2016 at 11:34am
आ समीर साहब आप का स्नेह पा कर गर्वंवित महसूस हो रहा है। आप को सादर नमन
Comment by Samar kabeer on March 28, 2016 at 11:29am
जनाब आमोद बिन्दोरी जी आदाब,तरही मिसरे पर आपने अच्छी ग़ज़ल कही, बधाई स्वीकार करें
Comment by kanta roy on March 28, 2016 at 10:44am

अमासी रात मेरे घर के तारे छीन लेती है।।
तूफानी रात आये तो गुजारे छीन लेती है।।....वाह  !  क्या  खूब  ग़ज़ल  कही  है  आपने आदरणीय आमोद  जी , बधाई  आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service