For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221    2122    2212    122
**************************************
मत पूछ  किस लिए  वो तेवर बदल रहे हैं
शह पा के  दोस्तों  की  दुश्मन उछल रहे हैं  l1l

होगी वफा वतन  से यारो  भला कहाँ अब
हुंकार  जाफरों   की   शासन   दहल  रहे हैं l2l

हमको पता  है  लोगों  शैलाब बढ़ रहा क्यों
दरिया के प्यार में कुछ पत्थर पिघल रहे हैं l3l

आँखों को सबकी यारों चुँधिया न दें कहीं वो
तम  के   दयार  में  से  तारे  निकल  रहे हैं l4l

ताकत विरोध की तज अपनायी बेबसी क्यों
क्यों  खून  की  जगह  पर आँसू उबल रहे हैं l5l

शासन न राम सा अब रावण की पैरवी बस
मत   जाओ  रात  बाहर  गुंडे  टहल  रहे हैं l6l
************************************
मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 18, 2016 at 12:54pm

आ0 भाई रामबली जी, प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 18, 2016 at 12:54pm

आ0 भाई समर जी पुनः उपस्थित हो मार्गदर्शन के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 18, 2016 at 12:54pm

आ0 भाई राहुल जी बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 18, 2016 at 12:53pm

आ0 भाई रवि जी उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by रामबली गुप्ता on March 17, 2016 at 6:24am
वाह वाह क्या बात है आ.धामी जी बेहतरीन दर बेहतरीन ग़ज़ल
Comment by Samar kabeer on March 16, 2016 at 5:44pm
अब आपका मिसरा सही है, पुनः बधाई ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on March 16, 2016 at 10:25am
भैया जी अच्छी ग़ज़ल हुई है
Comment by Ravi Shukla on March 15, 2016 at 12:28pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत बधाई स्‍वीकार करें इस गजल के लिये । अच्‍छी गजल कही है ।  एक सवाल आपकी गजल के हवाले से विद्वत जनों से पूछना चाहेंगे इस गजल के अरकान को अगर   2212  122   2212  122  करें तो तकनीकी रूप से या अरूज के लिहाज से कोई फर्क पड़ेगा ? आपके लिखे अरकान के दूसरे रुक्‍न के पहले (2) को पहले रुक्‍न में मिला दिया है । सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 15, 2016 at 11:47am

आ० भाई तेजवीर जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 15, 2016 at 11:47am

आ० भाई समर जी . अभिवादन , ग़ज़ल जी प्रशंसा और त्रुटि की और ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक धन्यवाद .

दूसरे शैर का सानी मिसरा से मैं  भी संतुस्ट नहीं था अब उसे  " हुंकारता है जाफर शासन   दहल  रहे हैं " करने पर कैसा रहेगा मार्गदर्शन करें l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
12 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
15 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
15 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
15 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
15 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service