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बीते बरस का लेखा जोखा [अखिलेश कृष्ण ]

प्याज सब्जियाँ आलू दाल, किया हमें सब ने बेहाल।

खट्टी मीठी कड़वी यादें, देकर बीता पिछला साल॥

चारों तरफ से कर्जा उस पर, सभी फसल बर्बाद हुए।

आत्महत्या किसानों ने की, बात दुखद गंभीर सवाल॥

दस राज्य केंद्र में शासन है, पर बढ़ा मांस निर्यात।

चौंकाने वाली ये खबर है, गौ माता भी हुई हलाल॥

करोड़ों खर्च हुए संसद पर, काम के नाम पे ठेंगा है।

बस नारेबाजी बहिर्गमन, पुतलों का दहन, हड़ताल॥

आरोप और प्रत्यारोप हुए, मंत्री विधायक सांसद में।

गाँधी मोदी नितीश लालू , शाह जेटली केजरीवाल॥

गलत हुआ आजाद के साथ, अनुशासन के नाम पर।

अब बारी उस बड़बोले की, कहते जिसे बिहारी लाल॥

नमोजी ने इतिहास रचा, इस सदी का बड़ा कमाल। 

जो देश गालियाँ देते थे, वो सुर बदले और ताल॥                                            

यूएनओ में बढ़ी प्रतिष्ठा, पिछले बीस महीनों में।

बन जाते स्थाई सदस्य पर, चीन चल गया चाल॥

सभी देश के नेताओं की, लगातार बैठक हुई।

कई देशों में आतंकवादी, खूब मचाये वबाल॥

फ्रांस रूस जापान मित्र हैं, पाक चीन अमरीका नहीं।

मुख में राम बगल में छूरी, ये तीनों जी के जंजाल॥

आतंकवाद के बारे में, भारत बरसों कहता आया।

नासमझ थे जितने देश सभी, वो समझे बीते साल॥

खुद को मार पड़ी तब जाना, आतंकवाद है बड़ी बला।

दिया प्रशिक्षण जिन देशों ने, भस्मासुर बन किया वबाल॥  

ग्रीन हाउस कार्बन उत्सर्जन, दूषित जल और मांसाहार।

मनमर्जी हर देश करे तो, कौन करे धरती का खयाल॥

उद्योगपति और विकसित देश, कभी न माने गलतियाँ।

ग्लोबल वार्मिंग बड़ी समस्या, बार बार आये भूचाल॥

असहिष्णुता के नाम पर, कुछ फिल्म वाले भी मचल गये।

फिल्म पिटी तो माफी माँगा, मिमियाया, पर बुरा है हाल॥

प्यार के नाम पे बलात्कार है, लूट पाट और हत्यायें।

फिल्म फेसबुक मोबाइल, सहशिक्षा, फैशन, करे धमाल॥

भूकम्प बाढ़, डेंगू सूखा, महंगाई, सुरक्षा बड़ा सवाल।

खुश रहते सब कष्ट झेलकर, संतोषी  भारत के लाल॥ 

दो हजार पंद्रह बीता, स्वागत सोलह का साल नया।

वही गलतियाँ ना दुहरायें, हम भारतवासी हर साल॥

गर्मी भी पड़ी, वर्षा भी हुई, हरियाली चारों ओर है।

ठिठुरन वाली ठंड दे गया, पूस माह में बीता साल॥          

दुर्भाग्य कभी सौभाग्य है, कभी जीत कभी हार है।

बीत गई सो बात गई, अब नये साल कुछ करें कमाल॥

सब को बधाई नये वर्ष की, सब के लिए शुभकामना।

तन स्वस्थ रहे मन में उमंग, हर देश रहे खुशहाल॥

....................................................................

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 4, 2016 at 4:39pm

आदरणीय शेख शहजाद भाई

हृदय से धन्यवाद इस लम्बी रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए , लिखना सार्थक हो गया।।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 4, 2016 at 4:36pm

आदरणीय समर कबीरजी

हृदय से धन्यवाद इस लम्बी रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 3, 2016 at 7:03pm
बहुत ख़ूब जनाब, बढ़िया लेखा जोखा पेश किया है आपने।बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी ।
Comment by Samar kabeer on January 2, 2016 at 2:44pm
जनाब अखिलेश जी आदाब,इस प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें |

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"वाह ...................... बढ़िया सुझाव ..................... सादर "
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"बढ़िया सुझाव .... सादर "
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