For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमीरी, लघुकथा

घर से निकलते समय मुझे ये पता ही न रहा कि मैने पुरानी चप्पल डाली है | थोड़ी दूर चलने के बाद चप्पल टूट गई, इसी दुबिधा में कि घर वापस जाऊं या आगे,मैं टूटे चप्पल के साथ पैर घसीटते हुए आगे बढ़ गया | अचानक मेरा ध्यान सड़क के किनारे बैठे जूतियाँ गांठने वाले पर पड़ी, उसके नजदीक जा मैने चप्पल आगे बढ़ा दी |

" पांच रुपए लगेंगे " उसने नजरें चप्पल की और डालते हुए कहा |"
कोई बात नहीं " आप इसे ठीक कर दो |,
मैने उसकी आवाज़ पहचानते हुए थोडा सोच पे जोर देते हुए कहा |
" क्या तुम सुंदर हो ? जो हमारे कालज में काम करते थे |"
हाँ, साहिब जी, मै सुंदर हूँ, आप कैसे हो ?
मैने कहा " ठीक हूँ | "
"आप ने कालज में काम करना क्यूँ छोड़ दिया ?" मैने फिर सवाल किया |
क्या बताएं साहिब जी, " आज कल वैसे स्टूडेंट नहीं रहे, अब तो बड़े बड़े लोग बड़ी गाड़ियों में आते हैं, अब तो हजारों की उनकी जूतियाँ होती हैं,जो न कभी टूटती हैं और न ही उन्हें पालिश करने की जरूरत होती है | ”
तभी थोडा रुक उसने फिर कहा,”अब तो ये लोग पहले जैसी इज्जत भी नहीं करते |"
"आप तो आते जाते हमारा हाल चल पूछ लेते थे  |"
आज कल के अमीर तो ऐसे हैं, जो काम के पैसे देते हुए भी कितनी बातें बनातें हैं, खुद पे चाहे कितना खर्च करें |
इतने में सुंदर ने चप्पल ठीक कर मेरी तरफ बड़ा दी, तो मैने पैसे निकाल उसे दिए, मगर उस ने पैसे लेने से इनकार कर दिया,
साहिब जी, "आप से हम पैसे नहीं ले सकते |"
“सुंदर आप ने काम किया, काम के पैसे तो लो,आपको अपनी मेहनत तो नही छोडनी चाहिए |"
”नहीं साहिब जी, आप से अगर पैसे ले भी लेंगे तो कौन से अमीर हो जायेंगे”, तब मुझे लगा, जैसे कि इस की अमीरी के आगे कोई बहुत बड़ी अमीरी भी झुक गई हो |

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 497

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मोहन बेगोवाल on November 4, 2015 at 11:09pm

 सभी साथियों का मेरी लघुकथा के बारे राए दे कर मुझे उत्साहत करने  के लिए धन्यवाद 

Comment by Abid ali mansoori on November 4, 2015 at 8:41pm

साहिब जी, "आप से हम पैसे नहीं ले सकते |"
“सुंदर आप ने काम किया, काम के पैसे तो लो,आपको अपनी मेहनत तो नही छोडनी चाहिए |"
”नहीं साहिब जी, आप से अगर पैसे ले भी लेंगे तो कौन से अमीर हो जायेंगे”, तब मुझे लगा, जैसे कि इस की अमीरी के आगे कोई बहुत बड़ी अमीरी भी झुक गई हो |

मन को छूता एक अहसास!

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 3, 2015 at 10:36pm
आदमी की अपनी सोच बड़े मायने रखती है। बहुत प्रेरक कहानी है , आदरणीय बेगोवाल जी , बधाई , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2015 at 5:30pm

लघु कथा की अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गई बहुत अच्छी लिखी है आपने आ० बेगोवाल जी ,हार्दिक बधाई आपको .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 3, 2015 at 5:17pm

 आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है. इस प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by Janki wahie on November 3, 2015 at 12:43pm
वाह सच्चे मन से निकली बात। उम्दा कथानक,बेहतरीन कथा।बधाई।
Comment by Rahila on November 3, 2015 at 11:34am
बहुत सुन्दर कथा रची आद. मोहन जी! सच्चाई को खूब शब्दों में ढाला । बहुत बधाई इस उम्दा रचना के लिये ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 3, 2015 at 10:51am
वाह, आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, कमाल कर दिया, अंतिम पंक्ति ने कईयों के मन की बात कह दी --***तब मुझे लगा, जैसे कि इस की अमीरी के आगे कोई बहुत बड़ी अमीरी भी झुक गई हो |
."

बहुत सुंदर उत्कृष्ट लघु कथा। हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको। ऐसे बहुत से सच्चे दिल के "अमीरों" से हम रूबरू होते रहते हैं, रचनाकार की लेखनी जब उनपर चलती है, तो बड़ा संतोष मिलता है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
26 minutes ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"प्रवृत्तियॉं (लघुकथा): "इससे पहले कि ये मुझे मार डालें, मुझे अपने पास बुला लो!" एक युवा…"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"स्वागतम"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"है सियासत की ये फ़ितरत जो कहीं हादसा हो उसको जनता के नहीं सामने आने देना सदर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय पंकज जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमित जी  बहुत बहुत शुक्रिया सज्ञान लेने के लिए कोशिश करती हूं समझने की जॉन साहब को भी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई पंकज जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. रिचा जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई जयनित जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई दिनेश जी, हार्दिक आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service