1222---1222---122 |
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नज़र इंसान की घातक हुई क्या? |
अभी नासाफ़ थी, हिंसक हुई क्या? |
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भरोसा जिन्दगी से उठ गया जो |
अचानक मौत की दस्तक हुई क्या? |
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हमारे पाँव चिपके जा रहे है |
नदीम उनकी गली चुम्बक हुई क्या? |
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अँधेरा हो गया है झुग्गियों में |
महल में फिर वही रौनक हुई क्या? |
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यहाँ दुःख आ गया जो ताल देने |
किसी की कामना मोहक हुई क्या? |
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इबारत सा मुझे क्यों ताकता है? |
मेरी सूरत कोई पुस्तक हुई क्या? |
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यहाँ हर सिम्त बुत बिखरें हुए हैं |
अकीदत आपकी पूजक हुई क्या? |
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सवेरे से बहुत खामोश घर है |
वही फिर आपसी बकझक हुई क्या? |
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दलालों की तबस्सुम खिल रही है |
नज़र उनकी कहीं चस्मक हुई क्या? |
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ख़ुशी कमजर्फ की आजाद देखी |
किसी की आरज़ू बंधक हुई क्या? |
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अचानक से ग़ज़ल फिर हो गई है |
हमारी वेदना सर्जक हुई क्या? |
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सलीका क्या सुखन का, क्या बताएं? |
हमारी लेखनी मानक हुई क्या? |
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Comment
ख़ुशी कमजर्फ की आजाद देखी
किसी की आरज़ू बंधक हुई क्या?
वाह आदरणीय मिथिलेश भाई साहिब बेहतरीन अशआर बने हैं … हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
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