For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत मिली थी आ गले.....


जलियावाला बाग में, बारूदी था जोर. 
सारे जन मारे गए बचा न कोई और..

कातिल डायर ने कहा फायर फायर मार.
तड़ तड़ बरसें गोलियाँ भीषण करें प्रहार ..

मौत मिली थी आ गले वह होली ना ईद.
खूनी कहलाया कुआँ सारे हुए शहीद..

ऊधम लन्दन तक गए लेना था प्रतिकार.
डायर को प्रतिफल दिया करके तीक्ष्ण प्रहार..

निष्ठुर थे गोरे  बड़े किया सभी बरबाद.
दिल दहलाये कांड वह अब तक सबको याद..
--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 1978

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on August 1, 2011 at 2:11am

wah !! Poori kahani suna di aapne !! Bahut khoob !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 22, 2011 at 7:04pm
आपका स्वागत है मित्र वीरेंद्र जैन जी ! सराहना के लिए बहुत-बहुत आभार .........
Comment by Veerendra Jain on April 22, 2011 at 12:23pm
Bahut hi badhiya rachna ... Ambarish ji...bahut bahut badhai..
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 21, 2011 at 12:07pm
भाई आशीष यादव जी ! आप की इस सराहना से इस रचना का सृजन सार्थक  हो गया है बहुत-बहुत आभार आपका  .............
Comment by आशीष यादव on April 19, 2011 at 7:25pm
जलिया वाला बाग हत्या कांड के बारे में कौन नहीं जनता होगा| और उधम सिंह द्वारा लिया गया प्रतिशोध..........
इस घटना को बहुत अच्छे शब्दों में पिरो कर हमारे सामने एक सुन्दर सा हार, जो की वीरों की वीरता और दुष्टों की दुष्टता को बखूबी प्रस्तुत कटरहा है, बहुत अच्छा लगा|
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 10:53pm
आदरणीय भाई रवि कुमार जी ! यह तो इस चित्र को देखकर हृदय से अकस्मात् ही  उपजे हुए भाव हैं बस......धन्यवाद मित्र ! :))
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 10:50pm
आदरणीय भाई  नेमीचंद जी ! देश भक्ति तो हर भारतीय का प्रत्यक्ष आभूषण है ! सराहना के लिए आभार मित्र !
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 10:48pm
भाई राजीव मिश्र जी ! बहुत सही कहा आपने कि "पूर्वजों कि गाथा सुन और सुनाकर ही भविष्य तैयार होता है !" बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र !:))
Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 15, 2011 at 10:46pm
भाई बागी जी! जलियावाला कांड पर एक चित्र देखा तो बरबस ही यह रचना बन गई .....आपने इसे सराहा तो ऐसा लगा जैसे यह सृजन सार्थक हो गया है ........बहुत-बहुत आभार मित्र :))
Comment by Rash Bihari Ravi on April 15, 2011 at 6:43pm
khubsurat lajabab sir ji

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service