For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोबोट घंटों लगातार काम करता है

और कुछ ही समय में फिर से रीचार्ज हो जाता है

 

कारखाने से कबाड़खाने तक

रोबोट कहीं नियम नहीं तोड़ता

 

रोबोट चुपचाप सुनता है उच्चाधिकारियों की सारी बातें

और इजाज़त मिलने पर ही बोलता है

 

रोबोट बिना किसी विरोध के उन सारी बातों में यकीन कर लेता है

जो उसकी मेमोरी में भरी जाती हैं

 

रोबोट अपने मालिकों के लिए ढेर सारा पैसा कमाता है

और बदले में उसे सिर्फ़ रीचार्ज और मेन्टीनेन्स मिलता है

 

रोबोट में भरी जा सकती हैं दुनिया भर की सूचनाएँ

रोबोट कर सकता है दुनिया के सारे काम

 

रोबोट को इंसान से बेहतर बनाया जा सकता है

रोबोट की मदद लेकर इंसान को बेहतर बनाया जा सकता है

 

लेकिन रोबोट को कभी इंसान नहीं बनाया जा सकता

क्योंकि रोबोट को दर्द नहीं होता

और अपनी तमाम योग्यताओं के बावजूद

रोबोट महज़ एक सामान भर है

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 2198

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 20, 2015 at 10:25pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 20, 2015 at 2:35pm

रोबो के माध्यम से संवेदना के पहलू को बखूबी उभारने का प्रयास भला लगा आदरणीय धर्मेन्द्रजी. 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:43am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शिज्जू जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:43am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राजेश कुमारी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:42am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जवाहर लाल जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2015 at 10:50pm
वाह क्या बात कही है बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 10, 2015 at 10:32pm

बहुत अच्छी कविता रोबोट का बिम्ब लेकर अधीनस्थ कर्मचारी के क्या खूब हालात बयाँ किये रोबोट हो या नौकर या अधीनस्थ  कर्मचारी 

यही तो स्थिति है |बधाई आपको 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2015 at 9:45am

अधीनस्थ कर्मचारी/अधिकारी रोबोट ही तो हैं खासकर निजी संस्थानों में 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 9, 2015 at 5:41pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 9, 2015 at 5:17pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, सही कहा आपने रोबोट ही हो गए है आजकल...यही है नौकर होने का मतलब .... इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर

1222-1222-1222-1222जो आई शब, जरा सी देर को ही क्या गया सूरज।अंधेरे भी मुनादी कर रहें घबरा गया…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service