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बुनियाद (लघुकथा) - मिथिलेश वामनकर [अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पर ]

“आज फ्रेंडशिप डे है मगर ये डिसिप्लिन साला!....... सेलिब्रेट भी नहीं कर सकते.”

“आर्मी लाइफ है ब्रदर.”

“सुना, अमेरिका में ईराक पर हमले का अमेरिकी सैनिकों के साथ-साथ सिविलियन भी विरोध कर रहे है.”

“हाँ यार...... इतने पावरफुल देश की सेना में डिसिप्लिन ही नहीं है क्या?”

“अच्छा.... अगर इन्डियन आर्मी पाकिस्तान पर हमला करें तो क्या यहाँ भी विरोध होगा?”

“ अबे गद्दारों जैसी बात मत कर.......हमारा देश, राष्ट्रभक्तों का देश हैं. इसकी बुनियाद में ही......”

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 12, 2015 at 9:54pm

लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी

Comment by Omprakash Kshatriya on August 12, 2015 at 9:24pm

आ मिथिलेश जी आप की जोरदार और व्यंगात्मक लघुकथा हुई है. बधाई आप को


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 4, 2015 at 1:37pm

आदरणीय  गिरिराज सर, लघुकथा आपको पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ.  लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 4, 2015 at 1:36pm

आदरणीय हर्ष जी, लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 4, 2015 at 1:35pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, लघुकथा पर आपका अनुमोदन मुग्ध कर रहा है.  लघुकथा की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 4, 2015 at 1:34pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर, आपका आत्मीय अनुमोदन पाकर मन झूम गया. हार्दिक आभार. नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 4, 2015 at 1:26pm

आदरनीय मिथिलेश भाई , लघुकथा का विषय बहुत पसन्द आया , लाजावाब ! हार्दिक बधाइयाँ

Comment by Harash Mahajan on August 4, 2015 at 10:30am

एक सशक्त लघुकथा आदरणीय मिथिलेश जी बधाई !!

Comment by TEJ VEER SINGH on August 4, 2015 at 10:24am

आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत शानदार लघुकथा!हार्दिक बधाई!बहुत गंभीर विषय पर तीखा प्रहार किया है!पुनः बधाई!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 4, 2015 at 10:11am

वाऊ ----- कमाल कर दिया मित्र . भाव विषय शिल्प सब पर आपने बाजी मारी . मेरी और से शत शत बधाई 

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