For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : शातिर (गणेश जी बागी)

                      र्षिता क्लास की सबसे खुबसूरत लड़की थी, अधम, रंजित और उसकी मित्र मंडली, सभी उससे दोस्ती के लिए लालायित रहते थे किन्तु वह तो बस अपने काम से काम रखती थी. एक दिन हर्षिता को अकेला देख रंजित उससे बोला,
“हर्षिता मैं तुम्हे अपनी बहन बनाना चाहता हूँ क्या तुम मुझे अपना भाई होने का अधिकार दोगी ?”
माँ बाप की इकलौती बेटी हर्षिता रंजित को भाई के रूप में पाकर बहुत ख़ुश हो गयी. अब उसका उठना बैठना रंजित के साथ-साथ उसके दोस्तों के साथ भी होने लगी.
                   हर्षिता कब अधम के साथ प्यार कर बैठी उसे पता भी नहीं चला और एक दिन वह सभी वर्जनाओं को तोड़ बैठी.
क्लास में आज एक और खुबसूरत लड़की ने एडमिशन ली थी. रंजित मुस्कुराते हुए बोला,
“अबे साले अधम, इस बार भाई बनने की बारी तेरी है”

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>अतुकांत कविता : संवेदना

Views: 1106

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on August 11, 2016 at 10:51am

सुन्दर रचना

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 18, 2016 at 6:40pm
सुन्दरम्।बधाई आदरणीय सर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 13, 2015 at 11:40pm

इस रचना पर क्या कहूँ कुछ समझ में नहीं आ रहाहै गणेश भाई. यह किसी प्रस्तुति की सफलता भी है. लेखक के विचारों से पाठक के विचारों का एकाकार होना. ’जो है वह सही नहीं है’ को स्वर देती आम जीवन से उठायी गयी एक कुत्सित घटना को अच्छा आयाम मिला है.
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

Comment by shree suneel on July 7, 2015 at 9:33pm
लघु-कथा ने प्रभावित किया. शीर्षक को सार्थक करती है. बधाई आपको आदरणीय भाई गणेश जी.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 7, 2015 at 11:06am

आदरणीय बागी जी , आज कल की नयी सभ्यता मे कुछ भी संभव है , अच्छी लगी आपकी लघुकथा , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2015 at 2:55pm

आदरणीय विजय निकोर जी, आपकी टिप्पणी से यह लघुकथा और अधिक समृद्ध हुई, बहुत बहुत आभार, स्नेह बना रहे.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2015 at 2:53pm

उत्साहवर्धन करती सराहना युक्त टिप्पणी हेतु आभार आदरणीय जवाहर लाल जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2015 at 2:51pm

सराहना हेतु आभार आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी.

Comment by aman kumar on July 6, 2015 at 2:13pm

आपकी कथा से कोलिज समय की एक घटना याद आगयी उसे फिर कभी ,,,

परन्तु कथा सामाजिक जीवन से निकली है और बहुत मारक है आपको बधाई !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2015 at 1:27pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service