For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दृढ़ता में
भूखे श्रमिकों के श्रम रखते
विकास की नींव
सफलता के केतु आकाश को ढक देते
धरा से गगन को चूमती अट्टालिकाएं उकेरतीं,
झुग्गियों का दर्द
आलसी, धुंध चढ़ जाता ऊपरी मंजिल तक
धूल में लिपटे श्रमिक झाड़ देते
लोभ, इच्छा और आवश्यकताएं भी
श्रम, अटल सत्य-
तनिक भी अपेक्षा नहीं रखती।
टेढ़ी-मेढ़ी सकरी पगड-िण्डयां
स्वयं राजपथ होने का दंभ भरतीं
हुंकारती, अहं के आकार-प्रकार
बहुआयामी अपेक्षाएं- लक्ष्य से कोसों आगे,
दूर की सोच सदैव निराश करती
तृष्णा तो बिन सिर-पैर की उथली-छिछली
घृणा पत्थर की लकीर.....लहरों पर खेलती
उकसाती क्रोध, अपनों के प्रति
अनगढ़ मनुष्य टूट कर बिखर जाता
ताश के पत्तों सा
विवेक, पंथ नहीं अपनाता- वह उड़ता है,
बेरोक-टोक
परिणाम की अपेक्षा किए बगैर
पुरवाई मन को आल्हादित तो-
पछुवा अति शुष्क
ऐंठ देती सुख की डोर, श्वॉंस भी
दंभ खीसें निपोरता
असफलताएं व्यंग्य कसतीं
परिणाम! ढाक के वही तीन पात,
माया मिली न राम,
अपेक्षाओं के संग्राम निमित्त हैं कुरूक्षेत्र में
रथी, बिना सारथी के.....कौतुक ही,
अर्जुन, स्वयं को भेदता
विजयी होते भीष्म-द्राेण !
कर्ण-दुर्योधन अवाक्.......हतप्रभ,
महत्वपूर्ण है- ...एक कुशल सारथी
अपेक्षाओं की जंग में
श्रम, शालीन-तथागत,....सदा उपकृत करते।


के0पी0सत्यम /मौलिक व अप्रकाशित

Views: 553

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 15, 2015 at 8:09pm

आ0 सौरभ सर जी, कविता पर आपका अनुमोदन पाकर मैं धन्य हुआ.  आपका हृदयतल से आभार. सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:34pm

वाह वाह !!

भाई केवल प्रसादजी, आपकी भावदशा प्रभावित कर गयी. हृदय से बधाइयाँ.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2015 at 7:56pm

//लाइव महोत्सव के आयोजन के दिन, आयोजन के विषय पर कविता किन्तु आयोजन में प्रस्तुत न कर पृथक से प्रस्तुत की गई, बात समझ नहीं आई. आयोजन में सहभागिता से दूरी का कारण जरुर बताएगा.// आ0 वामनकर भाई जी,  आयोजन में कविता  लिखने भर मात्र से काम नहीं चलता. बल्कि उस पर समय भी देना जरूरी होता है!  ऐसा मैं समझता हूँ  आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2015 at 7:49pm

आ0 जितेंन्द्र भाईजी,  आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2015 at 7:48pm

आ0 नारायण भाई जी,  आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2015 at 7:46pm

आ0 गोपाल सर जी, आपका आभार,  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 11, 2015 at 9:32am

आदरणीय केवल प्रसाद भाई जी, लाइव महोत्सव के आयोजन के दिन, आयोजन के विषय पर कविता किन्तु आयोजन में प्रस्तुत न कर पृथक से प्रस्तुत की गई, बात समझ नहीं आई. आयोजन में सहभागिता से दूरी का कारण जरुर बताएगा. फिलहाल इस प्रस्तुति पर बधाई.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 10, 2015 at 11:37am

बहुत सुंदर आदरणीय केवल जी. इस उत्कृष्ट रचना पर आपको हार्दिक बधाई

Comment by Samar kabeer on May 10, 2015 at 10:34am
जनाब केवल प्रसाद जी ,आदाब,अच्छी कविता हुई है ,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on May 9, 2015 at 3:56pm
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, समयाभाव के चलते निदान न कर सकने का खेद है, लेकिन आदरणीय अमित जी ने बेहतर…"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. ऋचा जी, ग़ज़ल पर आपकी हौसला-अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. लक्ष्मण जी, आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमीरुद्दीन अमर जी, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी, आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद आपको।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service