लौटेंगे कर्म फल आप तक ज़रूर
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बातें हमेशा मुँह से ही बोली जायें तभी समझीं जायें ज़रूरी नहीं
कभी कभी परिस्थितियाँ जियादा मुखर होतीं हैं शब्दों से ,
और ईमानदार भी होतीं हैं
देखा है मैनें
जिसे परिवार में समदर्शी होना चाहिये
उनको छाँटते निमारते ,
अपनों में से भी और अपना
वैसे गलत भी नहीं है ये
अधिकार है आपका , सबका
देखा जाये तो मेरा भी है
तो, छाँटिये बेधड़क , बस ये जानते रहिये
आप भी छाँटे जायेंगे , किसी के द्वारा
निकाल दिये जायेंगे चावल में से कंकर की तरह
किसी दिन फेक दिये जायेंगे ,
किसी कोने में ,
क्यों कि , विज्ञान कहता है
हर क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है
और ,कर्म का सिद्धांत भी तो यही कहता है ,
लौटेंगे कर्म फल आप तक ज़रूर
तय हो गया था उसी दिन आपका भी छाँटा जाना
कब ? कहाँ ? ये कोई नहीं जानता
सिवाय उस समदर्शी परम शक्तिमान के
मेरा कहना इतना ही है , अगर आप समदर्शी नहीं हैं
तो इंतिजार कीजिये आप उस समय का ,
और वक़्त सामने आ जाये तो शिकायत मत कीलियेगा
आँखें बन्द कर खुद में झाँक झाँक लीजियेगा ।
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय श्री सुनील भाई , आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय समर कबीर भाई , हौसला अफज़ाई का आपका तहे दिल से शुक्रिया ।
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी गहरा सन्देश देती रचना ....सादर
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