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चाँद आकाश में खो गया - हिन्दी गजल (एक प्रयास)

मुतदारिक मुसद्दस सालिम

212     212          212

सो गया सो गया सो गया

चाँद आकाश  में खो गया I

 

ढूंढते  थे जिसे  उम्र भर

लो यहीं था अभी तो गया I

 

प्यार का बीज मन में मेरे

कोई चुपके से आ बो गया I

 

नैन जबसे  उलझ ये गये

चैन ना जाने क्या हो गया I

 

चोट खाया  बहुत प्यार में

वो  दिवाना अभी जो गया I

 

था  सहारा बहुत  प्यार से  

दूर लेकिन  चला वो गया I

 

नेह-गंगा  सलिल आज तो  

पाप ‘गोपाल’ का धो गया I

 

(मौलिक व अप्रकाशित)  

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Comment

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:44am

आ० श्याम नारायण  वर्मा जी

आपका प्रोत्साहन अवश्य बल देता है  . सादर .

Comment by somesh kumar on April 2, 2015 at 11:15am

sunder !

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 2, 2015 at 5:24am

प्यार का बीज मन में मेरे

कोई चुपके से आ बो गया 

आदरणीय प्यार बिन बताये ही होता है ...सुंदर भाव ...सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 2, 2015 at 12:12am

आदरणीय गोपाल सर अभ्यास जोरो से चल रहा है ... आपकी मेहनत दिख रही है, बह्र पकड़ने का सबसे सफल तरीका.... अभ्यास दौर में आपने बहुत ही अच्छी ग़ज़ल कही है. पढ़कर आनंद आ गया. इस शेर के हवाले से एक निवेदन है कि 'ना' का प्रयोग ग़ज़ल में न करें क्योकिं इसका वज्न 1 ही माना जाता है -

नैन जबसे  उलझ ये गये............. नैन जबसे  उलझ ये गये

चैन ना जाने क्या हो गया ............ चैन भी जाने क्या हो गया 

Comment by MAHIMA SHREE on April 1, 2015 at 10:29pm

नेह-गंगा  सलिल आज तो  

पाप ‘गोपाल’ का धो गया... ....वाह....बहुत-2.सुंदर बधाई आपको

Comment by Sushil Sarna on April 1, 2015 at 9:07pm

प्यार का बीज मन में मेरे
कोई चुपके से आ बो गया I

वाह आदरणीय डॉ गोपाल जी बड़ी ही प्यारी लगी आपकी ये हिंदी की ग़ज़ल। हार्दिक बधाई इस मासूम प्रस्तुति पर।

Comment by vandana on April 1, 2015 at 8:21pm

नेह-गंगा  सलिल आज तो  

पाप ‘गोपाल’ का धो गया I

बहुत सुन्दर भाव आदरणीय गोपाल सर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 1, 2015 at 4:50pm

आपका प्रयासरत होना भला लग रहा है, आदरणीय गोपालजी.

शुभ-शुभ

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 1, 2015 at 4:46pm
नेह-गंगा सलिल आज तो
पाप ‘गोपाल’ का धो गया I
सुन्दर ,सराहनीय प्रयास, बधाई ,आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on April 1, 2015 at 4:41pm
बहुत प्यारी ग़ज़ल आदरणीय हार्दिक बधाई आपको।।सादर

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