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लोग(समीक्षार्थ गज़ल प्रयास )

मन के कितने छोटे लोग

रहते क्या-क्या ओटे लोग

गंद डालकर चिल्लाते हैं

जितने भी हैं खोटे लोग

मन की नंगाई ना छोड़ें

लड़ते पहन लंगोटे लोग

टोटे वालों को खोटा बोलें

जो हैं मन के खोटे लोग

नाक़ाबिल परवान चढ़ रहे

तब्दीले-सूरत में कोटे लोग

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by somesh kumar on March 2, 2015 at 11:46pm

शुक्रिया गिरिराज सर ,विश्लेषात्मक मार्गदर्शन के लिए हृदय से आभार |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 2, 2015 at 1:22pm

प्रिय सोमेश

आपका प्रयास अच्छा है  i इस मंच से आपको दिशा मिलती रहेगी  i आगे आप कोशिश तो करेंगे ही  i स्स्नेह i

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 12:45pm

 सोमेश भाई सुन्दर रचना , सुन्दर प्रयास , हार्दिक बधाई आपको !सादर

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 1, 2015 at 10:31pm

ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है बधाई। शेष आदरणीय गिरिराज सर ने तो कह ही दिया है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2015 at 9:13pm

आदरणीय  सोमेश भाई , मेरे ख्याल से आप इस ग़ज़ल को  22  22  22  2 बहर मे कहना चाह रहे थे , कुछ मिसरे बहर से भटक गये हैं , मात्रा अधिक है , सुधारने का प्रयास कर रहा हूँ --

मन के कितने छोटे लोग     ---मन के कितने छोटे लोग     ---

रहते क्या-क्या ओटे लोग --    रहते क्या-क्या ओटे लोग

गंद डालकर चिल्लाते हैं  ----- गंद ड़ाल कर चिल्लाते  

जितने भी हैं खोटे लोग --------जितने भी हैं छोटे लोग       

मन की नंगाई ना छोड़ें ---------मन नंगाई ना छोड़े

लड़ते पहन लंगोटे लोग ------  लड़ते पहन लंगोटे लोग   ( ते की मात्रा गिरानी पड़ रही है  )

टोटे वालों को खोटा बोलें ----   टोटों को बोले खोटा

जो हैं मन के खोटे लोग -----   जो हैं मन के खोटे  लोग

नाक़ाबिल परवान चढ़ रहे --   नाक़ाबिल परवान चढ़े

तब्दीले-सूरत में कोटे लोग  -- बदलें सूरत, कोटे लोग

आदरणीय सोमेश भाई , ग़ज़ल के सफल प्र्यास के लिये हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by somesh kumar on March 1, 2015 at 8:20pm

उत्साहवर्धन के लिए आप सभी का शुक्रिया |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2015 at 7:52pm

सुंदर है 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 1, 2015 at 7:26pm
प्रयास अच्छा है, बधाई , आदरणीय सोमेश कुमार जी, सादर।
Comment by maharshi tripathi on March 1, 2015 at 7:09pm

अच्छी रचना पर आपको बधाई आ.सोमेश जी |

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