For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सीप में बंद मोती .....

सीप में बंद मोती .....

दूर उस क्षितिज पर
रोज इक सुबह होती है
रोज सागर की सूरज से
जीवन के आदि और अंत की बात होती है
जब थक जाता है सूरज
तो सागर के सीने पर
अपना सर रख देता है
और रख देता है
अपने दिन भर के
सफ़र की थकान को
अपने हर सांसारिक
अरमान को
बिखेर देता है
अपनी सुनहरी किरणों की
अद्वितीय छटा को
सागर की शांत लहरों पर
फिर अपने अस्तित्व को
धीरे-धीरे निशा में बदलती
सुरमई सांझ के आलिंगन में
विलीन कर क्षितिज में ओझल हो जाता है
जीवन शांत हो जाता है
क्या उदय सत्य है
या अस्त सत्य है
ये आभास है
या सत्य का विरोधाभास है
न ये तृप्ति है न ये प्यास है
क्या है आखिर
इक अंकुर में जीवन प्रभात है
तो इक सांझ में निराशा का वास है
सागर के गर्भ में जीवित
असंख्य सीपियों की तरह
जीवन के गर्भ में भी असंख्य प्रश्न
अपने उत्तर के लिए भटकते हैं
और उत्तर बस
सीप में बंद मोती की तरह
उस नूर की मुट्ठी में बंद हैं
जिसके हम सब बन्दे कहलाते हैं
जिसे हम सब
ईश्वर,अल्लाह,ईसा मसीह,वाहे गुरु कहते हैं

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 26, 2015 at 7:24pm

आदरणीय गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपके द्वारा  रचना की चयनित पंक्तियों पर आपकी स्नेहाशीष से लेखन सफल हुआ ,आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 26, 2015 at 7:22pm

आदरणीय ,निर्मल नदीम जी रचना पर आपकी दाद की पुष्प वर्षा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 26, 2015 at 7:20pm

आदरणीय कृष्णा मिश्रा 'जान 'गोरखपुरी जी रचना पर आपकी स्नेहमयी प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by maharshi tripathi on February 26, 2015 at 4:57pm

वाह !!क्या अनमोल संदेश दिया है आपने आ.सुशील जी ,,,,,आपको इस सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 26, 2015 at 4:22pm

क्या उदय सत्य है 
या अस्त सत्य है 
ये आभास है 
या सत्य का विरोधाभास है 
न ये तृप्ति है न ये प्यास है 
क्या है आखिर 

अपने उत्तर के लिए भटकते हैं 
और उत्तर बस 
सीप में बंद मोती की तरह 
उस नूर की मुट्ठी में बंद हैं 
जिसके हम सब बन्दे कहलाते हैं 
जिसे हम सब 
ईश्वर,अल्लाह,ईसा मसीह,वाहे गुरु कहते हैं - सार गर्भित रचना के ये पंक्तियाँ ही प्रश्न और जिज्ञासा शांत कर रही है | बहुत खूब 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 26, 2015 at 3:40pm

आ 0 सरना जी

बहुत डूबकर लिखा आपने निम्न पंक्तियों पर हृदय निसार है  i सादर i

और उत्तर बस
सीप में बंद मोती की तरह
उस नूर की मुट्ठी में बंद हैं
जिसके हम सब बन्दे कहलाते हैं

Comment by Nirmal Nadeem on February 26, 2015 at 2:55pm

atisundar kavita hai sir.

bahut achchhi hai. dili daad hazir hai.

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 26, 2015 at 1:55pm

क्या उदय सत्य है
या अस्त सत्य है
ये आभास है
या सत्य का विरोधाभास है
न ये तृप्ति है न ये प्यास है
क्या है आखिर
इक अंकुर में जीवन प्रभात है??

क्या बात है...बहुत खूब..आदरणीय सुशील जी बधाई स्वीकारें!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
23 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service