जीवन कठिनाईयों मे
गुजर रहा है ऐ मौला
रात गुजर रही है
बगैर नींद के ऐ मौला
बेपरवाह एक जुगनू
खलल डाल रहा ऐ मौला
सफर मे चला जा रहा हूँ
मंजिल की तलाश मे ऐ मौला
कहता बहुत हूँ, चीखता बहुत हूँ
सुनता कोई नहीं ऐ मौला
काली रात कटेगी, सुबह तो होगी
इंतजार मे हूँ ऐ मौला
जख्म इतना दिया कि
इंतहा कि हद कर दी
जख्म के दर्द का अहसास न रहा ऐ मौला
खारा हो गया हूँ जैसे समंदर का पानी
अब मिठास की आस है ऐ मौला
हमनवा, हमनवा न रहा
हमसफर, हमसफर नहीं
परछाई भी कतरा रही अब तो मौला ....
( मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
हमनवा, हमनवा न रहा
हमसफर, हमसफर नहीं
परछाई भी कतरा रही अब तो मौला,......
बहूत खूबसूरत रचना आमोद कुमार श्रीवास्तव जी बधाई स्वीकार करे.
आदरणीय आमोद कुमार श्रीवास्तव जी , सुन्दर रचना , बधाई प्रेषित !
सुन्दर प्रस्तुति... बधाई
इस खूबसूरत रचना पर आपको बधाई ,,आ.आमोद कुमार जी |
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