221 2121 1221 2 2
रख ले चराग़ साथ में, शम्सो क़मर नहीं --
रहजन बिना यहाँ पे कोई रहगुज़र नहीं
शम्सो क़मर - चाँद सूरज
तेरी लगाई आग की तुझको ख़बर नहीं
सब ख़ाक हो चुका यहाँ कोई शरर नहीं
रो ले अगर, तेरा बिना रोये गुज़र नहीं
लेकिन ये सच है, आँसुओं में अब असर नहीं
सब कुछ वही है इस जहाँ में , बस तेरे बिना
मेरी वो शाम गुम हुई , वैसी सहर नहीं
मिल जायें बदलियाँ तो वो सूरज को ढ़ाँक दें
लेकिन, अकेले भिड़ पड़े ये कारगर नहीं
कोशिश तो की परिंदों ने ज़िंदाँ को तोड़ दें
धोखा परों ने दे दिया, कोई ज़रर नहीं
ज़िंदाँ – कारागार , ज़रर – नुक्सान
क्यों इब्न ही रहे किन्हीं आँखों का नूर अब
क्यों बिंत कोई, आज भी नूरे नज़र नहीं
इब्न – बेटा , बिंत – बेटी
दुश्वारियों ने खुद ही जिन्हें हौसला दिया
वो क्यूँ करे गिला कि कोई हमसफर नहीं
हर चीज़ रंग रोज़ बदलती रही है , तब
ये जान ले, कि ग़म-खुशी भी उम्र भर नहीं
हर लम्हा कह रहा है, यही रोज़ बस हमें
“सामान सौ बरस के हैं कल की खबर नहीं"
****************************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय विजय भाई , सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय खुरशीद भाई , क्षमा मांग के मुझे शर्मिन्दा न करें , उम्र मे बड़ा आपसे ज़रूर हूँ, पर ज्ञान मे आपसे बहुत छोटा हूँ। अनुज के रूप मे मेरी उम्र आपको स्वीकार करती है । ऐसे ही मेरी रचनाओं पर नज़र करते रहियेगा , ताकि क्रमशः खुद मे कुछ सुधार कर पाऊँ । अरूजी तालीम मेरी बिल्कुल नहीं है , बस दो चार बह्र मे गज़ल कहते रहता हूँ । आपका पुनः आभार ।
आदरणीय अजय भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय मिथिलेश भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया , कुछ अशआर कोट करने के योग्य आपको लगे तो गज़ल कहना सार्थक हुआ । स्नेह बनाये रखें । आपका आभार ।
आदरणीय हरि प्रकाश भाई , हौसला अफ्ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी भाई , सराहना के लिये आपका बहुत आभार ।
आदरणीय जितेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया ।
आदरणीय गिरिराज सर ,आपका स्नेह अनुज पर बना रहे, आपको जो कष्ट हुआ उसके लिए क्षमापार्थी हूं |रही बात फेसबुक की तो फेसबुक पर ग़ज़लों की दुर्गत देखकर मैंने तो फेसबुक पर जाना ही कम कर दिया है ,वहाँ मीरो-ग़ालिब से कम तो कोई है ही नहीं ,अपनी तो इतनी औकात नहीं है |सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online