ज़रूरी है क्या ? चश्मे तर खोजिये
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जहाँ ग़म न हो ऐसा घर खोजिये
जो हँसता मिले , बामो दर खोजिये
कोई बाइसे ज़िंदगी भी तो हो
इधर खोजिये या उधर खोजिये
बाइसे ज़िंदगी = ज़िन्दगी का कारण
गिरा एक क़तरा था सागर में कल
ज़रा जाइये अब असर खोजिये
अँधेरा , यक़ीनों से हटता नहीं
जलें आप खुद , तब सहर खोजिये
सहर = सवेरा
अगर आपका शाना सूखा है तो
ज़रूरी है क्या ? चश्मे तर खोजिये
शाना- कांधा , चश्मे तर = गीली आंखें
जहाँ से अकेले ही जाना है जब
भला किस लिये हम सफ़र खोजिये
निडरता हमेशा सही भी नहीं
ख़ुदा का ज़रा दिल में डर खोजिये
ख़ुदा का करम ही तो है सीमो ज़र
भला क्यूँ कहीं अब गुहर खोजिये
सीमो ज़र=धन दौलत, गुहर = कीमती पत्थर
जमीं, आसमाँ से बहुत दूर है
मुझे नीचे खोजें , अगर खोजिये
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
कोई बाइसे ज़िंदगी भी तो हो
इधर खोजिये या उधर खोजिये
अँधेरा , यक़ीनों से हटता नहीं
जलें आप खुद , तब सहर खोजिये
वाह सर जी ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई
कोई बाइसे ज़िंदगी भी तो हो
इधर खोजिये या उधर खोजिये
गिरा एक क़तरा था सागर में कल
ज़रा जाइये अब असर खोजिये
अँधेरा , यक़ीनों से हटता नहीं
जलें आप खुद , तब सहर खोजिये
अगर आपका शाना सूखा है तो
ज़रूरी है क्या ? चश्मे तर खोजिये
आदरणीय गिरिराज सर बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ,सभी अशहार लाज़वाब हुये हैं |कोट किये अशहार तो दीवाना बना दे रहे हैं |इस मेयारी ग़ज़ल पर शेर दर शेर दाद कबूल फरमावें |सादर अभिनन्दन |
आदरणीय गिरिराज भाई , बहुत ही ख़ूबसूरत गज़ल हुई . शब्दार्थ देकर मुझे जैसे उपहार दे दिया.
कोई बाइसे ज़िंदगी भी तो हो
इधर खोजिये या उधर खोजिये....................क्या कहने ....
जहाँ से अकेले ही जाना है जब
भला किस लिये हम सफ़र खोजिये..................हाये.....मार डाला
आदरणीय हरि प्रकाश भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका दिल से आभारी हूँ ।
आदरणीय सौरभ भाई , आपकी उपस्थिति आनन्द कारी है , सराहना कर उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ।
आदरणीय अजय शर्मा भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया ।
आदरणीय मिथिलेश भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया ! आपकी सलाह सही है , आपका बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर संपूर्ण रचना ही सुन्दर है ...
गिरा एक क़तरा था सागर में कल
ज़रा जाइये अब असर खोजिये....शानदार
अँधेरा , यक़ीनों से हटता नहीं
जलें आप खुद , तब सहर खोजिये......बहुत खूब , हार्दिक बधाई ! सादर
एक उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय गिरिराजभाईजी.
शुभ-शुभ
अगर आपका शाना सूखा है तो
ज़रूरी है क्या ? चश्मे तर खोजिये...................aap to kamaal karte hai
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