For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सांस है मुसाफिर......(एक रचना )

सांस है मुसाफिर.......(एक रचना )

सांस है मुसाफिर इसको  राह में ठहर जाना है
जिस्म के  पैराहन को  जल के बिखर जाना है

दुनिया को मयखाना  समझ नशे में ज़िंदा रहे
होश आया तो समझे कि ख़ुदा  के घर जाना है

याद किसकी सो  गयी  बन के अश्क आँख में
धड़कनें समझी न ये  जिस्म  को मर जाना है

ज़िंदगी समझे जिसे  दरहक़ीक़त वो ख़्वाब थी
सहर होते ही जिसे बस रेत सा बिखर जाना है

कतरा-कतरा  प्यार  में जिस के हम मरते रहे
वो राह को  रोके खड़े हैं  हमको जिधर जाना है

दर्द ख्वाबों  के  हमारे  कोई भला क्या जानेगा
साथ  हस्ती  के इन्हें भी ख़ाक में मर जाना है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2015 at 7:29pm

आदरणीय  somesh kumar   जी रचना पर आपकी मधुर  प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2015 at 7:28pm

आदरणीय  Hari Prakash Dubey   जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 23, 2015 at 11:25am

सांस है मुसाफिर इसको  राह में ठहर जाना है
जिस्म के  पैराहन को  जल के बिखर जाना है

दुनिया को मयखाना  समझ नशे में ज़िंदा रहे
होश आया तो समझे कि ख़ुदा  के घर जाना है    -----सरना जी i बहुत उम्दा i  बधाई हो i

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 23, 2015 at 10:07am
आदरणीय सुशील सरना जी, " सांस है मुसाफिर" रचना पसंद आई, बधाई , सादर।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 10:22pm

आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी रचना पसंद आयी, बहुत बहुत बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 22, 2015 at 7:25pm

आदरणीय सुशील सरना जी  इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई ...

Comment by somesh kumar on January 22, 2015 at 7:24pm

दुनिया को मयखाना  समझ नशे में ज़िंदा रहे 
होश आया तो समझे कि ख़ुदा  के घर जाना है|

बहुत गहरा जीवन -दर्शन है इन पंक्तियों में |

गज़ल भी बहुत कुछ कह रही है |सुंदर !अभिवादन इस रचना पर आ.|

Comment by Hari Prakash Dubey on January 22, 2015 at 7:19pm

आदरणीय सुशील सरना जी  इस सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आपको ....

दुनिया को मयखाना  समझ नशे में ज़िंदा रहे

होश आया तो समझे कि ख़ुदा  के घर जाना है..........ये पंक्तियाँ तो गज़ब ढा रही हैं ..सादर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service