For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'' कविता.. कविता सी लगे ''

कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे ,
बहते हुए भावों की ;
एक सरिता सी लगे !

चंचल किशोरी सम जो ;
खिलखिलाए खुलकर ,
बांध ले ह्रदय को ;
नयनों के तीर चलकर ,
ऐसी रचूँ कि कुमकुम सी
मांग में सजे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !

हो मर्म भरी ऐसी ;
जो चीर दे उरों को ,
एक खलबली मचा दे ;
पिघला दे पत्थरों को ,
निर्मल ह्रदय जो कर दे ;
वो सुर लिए सधे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !

तितली का मनचलापन ;
सुरभि लिए कुसुम की ,
आशाओं के गगन में ;
वो चहके पाखियों सी ,
साहित्य के सदन में ;
शहनाई सी बजे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !

(मौलिक व् अप्रकाशित)

शिखा कौशिक 'नूतन'

Views: 812

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 13, 2015 at 7:59pm

तितली का मनचलापन ;
सुरभि लिए कुसुम की ,
आशाओं के गगन में ;
वो चहके पाखियों सी ,
साहित्य के सदन में ;
शहनाई सी बजे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !

वाह!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2015 at 5:28pm

एक अरसे बाद आपका मंच पर आना भला लगा है.

आपकी प्रस्तुति कविता-सी ही है, आदरणीया. .. :-))

हाँ, आप रेगुलर होतीं तो कुछेक विन्दु अबक स्पष्ट हो गये होते.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 12, 2015 at 4:26pm

सभी को रचना से बता दिया 

ऐसी लिखों कविता 

जैसी रची है ये रचना 

जो कविता  से  लगे | -  सुंदर  रचना के लिए बधाई  आदरणीया शिखा कौशिक जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 12, 2015 at 3:19pm

बस ऐसे ही लिखिए i कविता सी हे लग रही है i  आदरणीया i

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 11, 2015 at 11:32am


हो मर्म भरी ऐसी ;
जो चीर दे उरों को ,
एक खलबली मचा दे ;
पिघला दे पत्थरों को ,
निर्मल ह्रदय जो कर दे ;
वो सुर लिए सधे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !

वाह बहुतखूब -- अच्छी रचना के लिए बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 11, 2015 at 4:56am

आदरणीया शिखा कौशिक जी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 11, 2015 at 12:19am
बात जो दिल को छू जाए ,
मन में आ जाए , ठहर जाए ,
सरल शब्दों में सज जाए ,
होंठों पर आये ,दूर तक जाए ,
सुगंध बन तितली सी उड़ जाए ,
बस कविता बन जाए ।
बस कविता बन जाए ॥ ....... ढेरों शुभकामनाओं के साथ।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 11, 2015 at 12:05am

वो चहके पाखियों सी ,
साहित्य के सदन में ;
शहनाई सी बजे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !..... सुन्दर रचना ,आपको हार्दिक बधाई आदरणीया शिखा कौशिक जी !

Comment by shalini kaushik on January 10, 2015 at 11:31pm

very nice expression 

Comment by shikha kaushik on January 10, 2015 at 11:12pm

सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु आभार सोमेश कुमार जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service