For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजदूरों की बस्ती में दो कँपकँपाती हुई आवाज़ें

“सुना है घर वापसी के 5 लाख दे रहे हैं”

“हाँ भाई मैं भी सुना”

“हम तो घर में ही रहते हैं, कुछ हमें भी दे देते”

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 10:06pm

वाह बहुत सुंदर कथा , किस कदर बेबसी को दर्शाया है आपने वो भी इतने कम शब्दों में , बहुत खूब आदरणीय सिज्जू जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 9:58am

आदरणीय सौरभ सर रचना पर विस्तृत टिप्पणी से मन हर्ष से भर गया, उस पर आपका अनुमोदन हौसला बढ़ा गया। आपका तहेदिल से शुक्रिया।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 9:55am

आदरणीय विनय कुमार सिंह जी आपने रचना को समय दिया मैं आपका तहेदिल से आभारी हूँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 9:54am

आदरणीया महेश्वरी जी रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2015 at 7:22pm

अय हय ! अय हय ! क्या करारा, क्या सटीक !

वार्तालाप में एक के स्वर की बेबसी जिस मासूमियत से उभर कर आयी है कि मुँह से बरबस ’वाह’ निकल रहा है, शिज्जू भाईजी.  एक अनायास ही व्यापक हो गयी गयी या सायास व्यापक की गयी प्रक्रिया कितनी गहराई तक समाज को आंदोलित करती है, यह आपकी लघुकथा से ज़ाहिर है.

फ़ैज़ ने सही ही कहा है न - और भी दुख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा ..
इस सशक्त लघुकथा पर दिल से बधाइयाँ

Comment by विनय कुमार on January 14, 2015 at 3:09pm

बहुत बेहतरीन लघुकथा , हार्दिक बधाई आपको ..

Comment by Maheshwari Kaneri on January 7, 2015 at 6:25pm

सुंदर लघुकथाआपको हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:31am

आदरणीय सोमेश जी आपका हार्दिक आभार। प्रवासियों के घर लौटने पर 5 लाख कौन देगा आप ही बतायें। आजकल किसको पड़ी ये जानने की कि देश में कौन है और विदेश में कौन। सबका अपना स्वार्थ हैं थोड़ा सा ज़ोर दिमाग को दें तो आप समझ जायेंगे।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:27am

आदरणीय हरिप्रसाद दूबे जी आपका हार्दिक आभार

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 10:23am

सुंदर लघुकथा है पर इसका सांकेतिक भाव समझ नहीं आया ,यहाँ घर वापसी धर्मांतरण के संद र्भ में है अथवा प्रवासियों के लौटने हेतु 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी आदरणीय सम्मानित तिलक राज जी आपकी बात से मैं तो सहमत हूँ पर आपका मंच ही उसके विपरीत है 100 वें…"
39 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इसी विश्व के महान मंच के महान से भी महान सदस्य 100 वें आयोजन में वही सब शब्द प्रयोग करते नज़र आ…"
43 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपको यह कहने की आवश्यकता क् पड़ी कि ''इस मंच पर मौजूद सभी…"
54 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service