For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूर्यास्त - लघुकथा (मिथिलेश वामनकर)

बॉस के कमरे की अधखुली खिड़की। उसने डूबते सूरज को देखते हुए कहा- “आप मेरे प्रमोशन की बात को हमेशा टाल जाते है.... मेरे हसबेंड के लिए आहूजा ग्रुप में सिफारिश भी नहीं की अब तक... .. उन्होंने तीन महीनों से बातचीत बन्द कर रखी है। हमेशा नाराज रहते है, रोज ड्राइंग रूम में सोते है। पता है, मैं कितनी परेशान हूँ... इस बार पीरियड भी नहीं आया है।”


कहते-कहते वो अचानक मौन हो गई। कमरे में चीखता हुआ सन्नाटा पसर गया था।

क्षितिज पार सूरज तो कब का डूब चुका था।

-------------------------------------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
-------------------------------------------------------------

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 8:29pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, आपकी उत्साह भरी सराहना से अभिभूत हूँ आपका स्नेह मिलता हैतो रचनाकर्म को बहुत बल मिलता है। आपका हार्दिक आभार। नमन।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2014 at 8:01pm

मिथिलेश जी, आ0 सौरभ जी की तरह मैं भी यही चाहता हूँ कि आ बागी जी और मेरे अनुजवत आ० सपादक योगराज जी इस कथा पर अपने विचार् देते i पर उनकी अपनी व्यस्तताएं भी है i मैं तो यही कहूँगा - अगर मैं एग्जामिनर होता तो नं 0 दस में दस देता i

नफासत के अलग देता i लियाकत के अलग देता i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 6:55pm

आदरणीय सोमेश भाई जी ...लघुकथा के इस प्रथम प्रयास पर आपकी सराहना के लिए बहुत बहुत आभार .... हार्दिक धन्यवाद .... प्रयास जारी रहेगा बस आपका स्नेह बना रहे ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 6:54pm

आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया जी .... इस पहले प्रयास पर आपकी सराहना उत्साहवर्धक है ... आपका तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 2:32pm

गजलों से हट इस विधा में आपका प्रस्तुतिकरण प्रशसनीय है ,निश्नदेह उगता सूरज वही है जो किरणों को केवल क्षितिज तक ही ना बांटे ,बल्कि अंतिम छोर तक पहुंचाए ,साहित्य के विविध विधा में सफलतापुर्वक लिखना भी एक सफल लेखक होने की पहचान है ,आप के प्रयास पर बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 29, 2014 at 1:03pm

आजकल सफलता के लिए, सीधे शार्टकट लेने में इंसान नयी-नयी समस्याओं में घिर जाता है. लघुकथा पर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी.

आदरणीय सौरभ जी कि प्रतिक्रिया और आपकी लघुकथा में संशोधन ने लघुकथा के आयाम को बहुत ऊँचा स्तर दे दिया है, यह मार्गदर्शन केवल ओ.बी.ओ. मंच पर ही मिलेगा, जिसमे हमेशा स्नेह व् अपनेपन कि अनुभूति शामिल है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 8:43pm

आदरणीय मिथिलेश भाई, इस प्रस्तुति पर मेरी टिप्पणी से संप्रेषित हो रहे इंगितों को आपने न केवल समझा है, बल्कि उनका अन्वर्थ साझा कर अपनी सकारात्मक सोच का परिचय दिया है. हम सभी इस मंच पर ऐसे ही सीखते हैं, भाईजी.

लघुकथा के इन विन्दुओं पर मैं आदरणीय योगराजभाई और भाई गणेश बाग़ीजी की प्रतिक्रियाओं की भी प्रतीक्षा कर रहा हूँ.
वस्तुतः मैं मूल रूप से पाठक ही हूँ.
शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2014 at 6:58pm

आदरणीय शिज्जु भाई जी ...बहुत बहुत आभार .... हार्दिक धन्यवाद .... प्रयास जारी रहेगा बस आपका स्नेह बना रहे ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 28, 2014 at 6:53pm

आदरणीय मिथिलेश जी बहुत बहुत बधाई इस लघुकथा के लिये प्रयासरत रहें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2014 at 6:48pm

आदरणीया अर्चना जी .... इस पहले प्रयास पर आपकी सराहना उत्साहवर्धक है ... आपका तहे दिल से शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रभाजी हार्दिक धन्यवाद प्रशंसा के लिए | "
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service