For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीर पैरों की खड़ा होने नही देती मुझे...............

पीर पैरों की खड़ा होने नही देती मुझे
मेरी देहरी ही बड़ा होने नहीं देती मुझे

फिर वही आँगन की परिधि में बँट गया 
किंतु सीमाएँ मेरी खोने नहीं देती मुझे

उधर पाबंदी ज़माने की हैं हँसनें पे मेरे
इधर दीवारें मेरी रोने नहीं देती मुझे

कर्म के ही हल सदा रखती है कंधें पर नियति 
पर कभी फसलें मेरी , बोने नहीं देती मुझे

रोज़ सहता हूँ पराजय के अनेकों दंश फिर भी
ज़िद ये साँसों की "अजय" मरने नही देती मुझे

अजय कुमार शर्मा
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 507

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 13, 2014 at 7:42pm

आदरणीय अजय जी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 12, 2014 at 12:07pm

आदरणीय भाई अजय जी इस सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 11, 2014 at 9:35pm

आदरणीय अजय भावों के लिये बधाई एवं शुभकामनायें

Comment by Meena Pathak on December 11, 2014 at 6:18pm

उधर पाबंदी ज़माने की हैं हँसनें पे मेरे
इधर दीवारें मेरी रोने नहीं देती मुझे.......................बेहद उम्दा 

Comment by saalim sheikh on December 10, 2014 at 10:15pm

खूबसूरत रचना के लिए बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2014 at 8:23pm

आदरणीय अजय भाई , बहुत  बढ़िया बात कही है आपने । वाह

पीर पैरों की खड़ा होने नही देती मुझे
मेरी देहरी ही बड़ा होने नहीं देती मुझे -     बधाइयाँ ।

आ. योगराज भाई जी की बात से सहमत हूँ , रचना गज़ल होते होते रह गई है ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 10, 2014 at 6:17pm
बहुत सुन्दर वाह!

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 10, 2014 at 10:39am

भाई अजय शर्मा जी, थोड़ी सी मेहनत से इस रचना को ग़ज़ल बनाया जा सकता था। मंच पर ग़ज़ल सम्बन्ध काफी जानकारी उपलब्ध भी है, उसका लाभ उठायें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी ने अच्छे से बताया है…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय नीलेश भाई जी, बढिया.. बहुत खूब.  आपकी रचना-प्रक्रिया का लिहाज निस्संदेह रूहानी हुआ…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आपकी कोशिशों के लिए हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय दिनेश जी.  शुभ-शुभ"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आपने बहुत ही गहन अभ्यास के साथ रचनाकर्म किया है, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी.  आपके सभी अश’आर…"
11 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छा प्रयास है ग़ज़ल जा बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की टिप्पणी से सीखने को…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अमित जी बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझाने बताने के लिए सुझाव से मतला ख़ूब हुआ ,बाकी…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी एवं सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
12 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। द्वेष हर दिल से मिटा कर…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service