For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जागा श्रमिक अभाव की चादर पीछे कर

चला अपने भाग्य से लड़ने डट कर

रेशमी विस्तर में सोने वालों,

तुमने कभी सुबह उठ कर देखा है ।

 

साहस की ईंटों को चुनता हैं अरमानों के गारे से

फिर भी खुशी चलती है दीवार पर, उसके आगे

संगमरमर के महलों में सुख से रहने वालों,

तुमने उनके भूखे पेटों को कभी देखा है ।

 

तारों की छांव में रोज सबसे आगे उठता

फिर भी जीवन की अरूढ़ाई ना देख पाता

तरुणाई श्रमिकों की पीने वालों,

इनके सिकुड़े चेहरों को कभी देखा है ।

 

विमारों को छोड़ अंधेरे घर में जाते

आटा  दाल जुटा के जर-जर वो आते

उम्मीदों से ज्यादा, अपनों को देने वालों,

उनको, उनकी मेहनत भर दे कर देखा है।

 

कभी तो करुणा मन में धारण कर लो

विपदाओं से धुंधले चेहरों का तम हर लो

नहीं सताओ उनको, वो भी हरि के जन हैं,

उनके जीवन का आशय उनसे मत छीनों ।  

अप्रकाशित व मौलिक 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

 

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 6, 2014 at 11:11pm

आदरनीया कल्पना जी , बहुत सुन्दर संदेश देती और सार्थक प्रश्न उठाती रचना प्रस्तुति के लिये आपको बधाई ।

Comment by vijay nikore on November 10, 2014 at 5:02pm

बहुत सशक्त भावाभिव्यक्ति। बधाई, आदरणीया कल्पना जी।

Comment by somesh kumar on November 2, 2014 at 9:29am

सुंदर विषय पर सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई ,आदरनीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2014 at 11:47am

आदरनीया कल्पना जी , बहुत सुन्दर संदेश देती आपकी रचना के लिये आपको बधाई ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 1, 2014 at 10:02am

सार्थक प्रश्न उठाती रचना प्रस्तुति. बधाई आदरणीया कल्पना दीदी

Comment by kalpna mishra bajpai on October 30, 2014 at 11:23pm

आ०  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर आभार /सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 30, 2014 at 5:01pm

कल्पना जी आपने बहुत मौजूं प्रश्न उकेरे i इस अच्छी रचना के लिए आपको बधाई i

Comment by kalpna mishra bajpai on October 30, 2014 at 3:05pm

आ० Shyam Narain Verma  सर बहुत-बहुत आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on October 30, 2014 at 3:04pm

आ० narendrasinh chauhan जी बहुत शुक्रिया /सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on October 30, 2014 at 10:26am

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service