For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक तरही ग़ज़ल --“तालाब सूख जाएगा बरगद की छाँवों में ( गिरिराज भंडारी )

तालाब  सूख जाएगा  बरगद  की छाँवों में

221      2121     1221     212

******************************************

अब  आग  आग है यहाँ  हर सू फ़ज़ाओं में

तुम  भी  जलोगे आ गये  जो मेरी राहों में

 

तिश्ना लबी  में  और  इजाफ़ा  करोगे  तुम

ऐसे ही झाँक झाँक के प्यासी घटाओं में

 

वो  शह्री  रास्ते  हैं  वहाँ  हादसे  हैं  आम

जो  चाहते  सकूँ हो, पलट  आओ  गाँवों में

 

तू  देख बस यही कि है मंजिल बहुत क़रीब 

तू  देख मत  अभी से कि छाले  हैं पांवों में

 

तू बस मिला नज़र, मेरे ज़ज्बात पढ़ के देख

किसको मिला क्या घूर के खाली खलाओं में

 

जब धूप सब सुखाये  , भला  कैसे ये कहूं

तालाब  सूख जाएगा  बरगद  की छाँवों में  

*******************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

 

 

 

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2014 at 6:23pm

आदरणीय गुमनाम भाई , आपका बहुत शुक्रिया |

Comment by harivallabh sharma on September 21, 2014 at 1:39pm

बहुत सुन्दर...बेहतरीन ग़ज़ल...हर शेर लाजबाब...

जब धूप सब सुखाये  , भला  कैसे ये कहूं

तालाब  सूख जाएगा  बरगद  की छाँवों में  ...खूब कहा बधाई आदरणीय.

Comment by gumnaam pithoragarhi on September 21, 2014 at 1:01pm

बेहतरीन गजल हुई है ,,,,,,,,,,,,,,हार्दिक बधाई स्वीकारें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2014 at 5:33pm

आ.बड़े भाई गोपाल जी , आपकी स्नेहिल सराहना के लिए दिली शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2014 at 5:32pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , हौसला अफजाई के लिए आपका दिली शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2014 at 5:32pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , आपकाई सराहना के लिए आपका दिली शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2014 at 5:31pm

आ. भुवन भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2014 at 5:30pm

आ. नीरज भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिए आपका आभार |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 20, 2014 at 2:53pm

वाह वाह मित्र

कभी कभी आप अचानक चौंका देते हो i बेहतरीन गजले हुई  हैं i सादर i  

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 10:55am

अब  आग  आग है यहाँ  हर सू फ़ज़ाओं में

तुम  भी  जलोगे आ गये  जो मेरी राहों में

तिश्ना लबी  में  और  इजाफ़ा  करोगे  तुम

ऐसे ही झाँक झाँक के प्यासी घटाओं में

आदरणीय भाई गिरिराज जी यू ंतो पूरी गजल बेहतरीन है पर ये दो शेर अत्यधिक पसंद आए । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
28 seconds ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामहजी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 minute ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
2 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय गजेन्द्र जी बहुत शुक्रिया आपका बेहतरी का प्रयास करूंगी सादर"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service