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मौत का सघन  साया

अनुभूति बनकर आया

मेरे अंतिम क्षणों में I

*

यह आत्मीयता प्रदर्शन

करुणा  का कलित क्रंदन

चीत्कार आर्त्त रोदन

या नाट्य  अभिनय मंचन

.

इसे देख जी में आया 

छोडूं न अभी काया

मेरे अंतिम क्षणों में I

*

सर्वांग व्यथित परिजन

सूने उदास से मन

इतना असीम कम्पन

तब था न  जब था जीवन

.

यह मोह है या माया

कुछ कुछ समझ में आया

मेरे अंतिम क्षणों में I

*

वक्रोक्ति व्यंग्य दंशन 

हासोपहास लांछन

सहता रहा था जो मन

क्या यही प्रकृत जीवन ?

.

कोई न जान पाया

प्रभु ने मुझे जगाया

मेरे अंतिम  क्षणों में I

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

 

 

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Comment

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:12pm

आदरणीय  महिमाश्री जी

आपके प्रोत्साहन का सादर आभार i

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:10pm

राम शिरोमणि जी

आभारी हूँ वत्स i  सस्नेह i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:09pm

करुण जी

आपका आशीर्वाद मिला i आभारी हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:08pm

लडीवाला जी

आप के प्रोत्साहन का आभार i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:07pm

आदरणीय ' आकुल ' जी

अनुग्रहीत हूँ श्रीमन i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 6:06pm

विजय सर

आपका आभार i  सादर i

Comment by vijay nikore on September 10, 2014 at 11:29pm

इतनी सुन्दर रचना ! बहुत कुछ सोचने को दे गई है। हार्दिक बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

Comment by MAHIMA SHREE on September 10, 2014 at 10:56pm

 जीवन के अंतिम क्षण   को दार्शनिक अंदाज में पिरोया  है इस नवगीत में हार्दिक बधाई आदरणीय गोपाल नारायण जी 

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2014 at 8:42pm
सुन्दर भाव्भिव्यक्ति आदरणीय गोपाल नारायण जी।। हार्दिक बधाई आपको
Comment by Santlal Karun on September 10, 2014 at 6:49pm

आदरणीय डॉ. श्रीवास्तव जी,

अत्यंत प्रभावशाली नवगीत -- जीवन, म्रत्यु तथा अंतिम क्षणों के त्रि-आयामी दर्शन की सघनता लिये हुए --

"सर्वांग व्यथित परिजन

सूने उदास से मन

इतना असीम कम्पन

तब था न  जब था जीवन

.

यह मोह है या माया

कुछ कुछ समझ में आया

मेरे अंतिम क्षणों में I"

...हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !"

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