For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१-

जहाँ अश्रु की बूँदें

रोने वालों के दुखों को,

दुखों की सान्ध्रता को

कम कर देती है

 

वहीं पर यही अश्रु बूँदें

रोने वालों से भावनाओं से जुड़े

उनके अपनों को

बेदम भी कर देती है

 

२-

संयत नहीं हो पाए अगर आप

अपने भाव के साथ

तो वही भाव,

कहे गये शब्दों के अर्थ बदल देता है

 

और वहीं

अगर आप सही नहीं समझ पाए शब्दों को

तो शब्द,

आपके चहरे से प्रकट

भावों के अर्थ बदल देता है

**************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 24, 2014 at 10:58pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , रचना के अनुमोदन के लिए आपका आभार |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 23, 2014 at 11:48am

मित्र

दूसरी क्षणिका तो बस कमाल  है i

लाजवाब  !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 22, 2014 at 4:47pm

आदरणीय सौरभ भाई , रचना के अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार | भाव को भावों कर लूंगा | व्याकरणीय त्रुटि दूर करवाने के लिए आपका शुक्रिया |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2014 at 1:13am

दोनों क्षणिकायें सार्थक हुई हैं, आदरणीय !

दूसरे में शब्दों के समानान्तर शब्द आया है, लेकिन वह बहुवचन का ही है. अतः अंतिम पंक्ति भावों के अर्थ बदल देते हैं होना चाहिये.

इस वैचारिक प्रस्तुतिके लिए हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2014 at 9:28pm

आदरणीय बड़े भाई विजय जी , रचना के अनुमोदन के लिए आपका आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2014 at 9:27pm

आदरणीय विजय मिश्र भाई , रचना को आपका अनुमोदन मिला तो रचना का माँ बढ़ गया | आपकी सराहना के लिए बहुत आभार |

Comment by vijay nikore on August 21, 2014 at 2:57pm

सत्य कथन । बधाई, आदरणीय गिरिराज जी।

Comment by विजय मिश्र on August 21, 2014 at 12:27pm
भाव संप्रेषण पर सुंदर विश्लेषण इन दो क्षणिकाओं द्वारा व्यक्त किया और फिर शव्द की संवेदना और इसकी अभिव्यक्ति के द्वन्द्बोध को भी समर्थ रूप से समझाया | अतिसुन्दर गिरिराजजी |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2014 at 9:22pm

आदरनीया सविता जी , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2014 at 9:22pm

आदरणीय लक्ष्मण लाड़िवाल भाई , रचना के अनुमोदन के लिये आपका दिली आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service