‘ अकड़न ’
*********
जहाँ कहीं भी अकड़न है
समझ लेने दीजिये उसे
अगर वो ये सोचती है कि, दुनिया है , तो वो है
तो ये बात सही भी हो सकती है
और अगर वो ये सोचती है कि , वो है, इसलिए दुनिया है
तो फिर उसे देखना चाहिए पीछे मुड़कर
कि, कोई भी नहीं बचा है , ऐसी सोच रखने वालों में से
और दुनिया आज भी है ,
वैसे तो तुम्हारा होना बस तुम्हारा होना ही है , इससे ज्यादा कुछ नहीं
बस एक घटना घटी और तुम हो गए
एक और घटेगी , तुम नहीं रहोगे
तो पियो सरलता
आने दो तरलता , और बह जाने दो
फैल जाने दो ,
ता कि , दुनिया की पूरी सतह हो जाए आच्छादित
क्यों कि सरलता और तरलता ही फ़ैल सकती है, असीम
और हो जाने दो सार्थक
अपने होने की उस एक नगण्य घटना को ||
*****************************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
प्रस्तुत कविता की सार्थकता तथा इसकी व्यापकता को मैं हार्दिक रूप से स्वीकार करता हूँ, आदरणीय गिरिराज भाईजी.
हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय.
आदरणीय आशुतोष भाई , रचना की सराहना के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया |
आदरणीय भाईसाब कमाल की रचना है ..मैं आपके तर्कों से भली भाति सहमत हूँ ..सार्थक रचना के लिए ढेरों बधाई सादर
आदरणीय राम शिरोमणि भाई , आपका आभार |
आदरणीया सविता जी , आपका बहुत शुक्रिया |
आदरणीया प्राची जी , आपके अनुमोदन ने रचना कर्म सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार | के को की कर लूंगा , आभार आपका |
आदरणीय जितेन्द्र भाई , सराहना के लिए आपका शुक्रिया |
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आपका बहुत बहुत आभार |
आदरणीया मीना जी आपका बहुत शुक्रिया |
आदरणीय विजय शंकर भाई , रचना के अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online