For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम पाखी जिन बाग वनों के //गज़ल//कल्पना रामानी

हम पाखी जिन बाग वनों के, हरें वहाँ से शूल।

चन्दन सी जो खुशबू बाँटें, उपजाएँ वे फूल।

 

सावन साधें, हिमगिरि काटें, बाँधें बसंत को,

हर मौसम को कर दें मिलकर, हम अपने अनुकूल।

छूटे ना पतवार हाथ से, नाव लाख डोले,

तूफानों से लें टक्कर बन, तने हुए मस्तूल।

 

आशाओं की खाद डालकर, श्रम-अंकुर रोपें,

और निराशा की जड़ को ही, कर दें नष्ट समूल।

 

प्रेम, त्याग हथियार बनाकर, मन से मन जीतें,

अमन चैन का हाथ न छोड़ें, कायम रहें उसूल।

 

हम भावी इतिहास रचयिता, भाव न ये भूलें।

बने देश यह एक नगीना, यही सोच हो मूल।

 

बलिदानों के बल पर कल था, हासिल किया जिसे,

खंडित हो अब वो स्वतन्त्रता, करें न ऐसी भूल।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 20, 2014 at 8:58am

बहुत खूबसूरत भाव आपकी ग़ज़ल के आदरणीया कल्पना जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on August 19, 2014 at 9:37am

आदरणीय जितेंद्र गीतजी,  विजय शंकरजी,  गोपाल नारायणजी,  श्याम नरेनजी,   विजय निकोरे जी, जवाहर लाल सिंहजी,  प्रिय सविता मिश्रा, सीमा हरी शर्मा जी आप सबका  प्रोत्साहित करती हुई सुंदर टिप्पणियों के लिए हार्दिक आभार

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 18, 2014 at 7:58pm

बलिदानों के बल पर कल था, हासिल किया जिसे,

खंडित हो अब वो स्वतन्त्रता, करें न ऐसी भूल।

सीख देती हुई रचना आदरणीया!

Comment by vijay nikore on August 18, 2014 at 3:25am

प्रेरित करती इस गज़ल के लिए बहुत बधाई, आदरणीया कल्पना जी।

Comment by seemahari sharma on August 17, 2014 at 3:47pm
बहुत ही प्रेरक गजल प्रत्येक शेर एक रास्ता दिखलाता हुआ बधाई आदरणीय कल्पना जी सुंदर गजल के लिए
Comment by savitamishra on August 16, 2014 at 7:31pm

सुंदर रचना दी _/\_

Comment by Shyam Narain Verma on August 16, 2014 at 4:48pm
" सुन्दर भावों से सजी इस गज़ल के लिए आपको बहुत बधाई ...... "
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 16, 2014 at 3:26pm

आदरणीया

आपके इस सन्देश को लोग आत्मसात करें यही कामना है i

सादर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 16, 2014 at 2:10pm
आदरणीय कल्पना रामानी जी , मनोबल को बढ़ाती , बहुत सुन्दर रचना , बधाई .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 16, 2014 at 11:23am

स्वतंत्रता-दिवस के राष्ट्रिय पर्व पर बहुत ही सुंदर गजल कही आपने आदरणीया कल्पना जी. हार्दिक बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा अष्टक***हर पथ जब आसान हो, क्या जीवन संघर्ष।लड़-भिड़कर ही कष्ट से, मिलता है उत्कर्ष।।*सहनशील बन…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service