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"पुष्प हरसिंगार का "

"गीत"
_____

श्याम घन नभ सोहते ज्योँ ग्वाल दल घनश्याम का ।

चंचला यमुना किनारे नृत्य रत ज्योँ राधिका ||


आ रहे महबूब मेरे
दिल कहे श्रृँगार कर ।

द्वार पर कलियाँ बिछा कर
बावरी सत्कार कर ।

प्यार पर सब वार कर
-दुल्हन सदृश अभिसार कर ।

अब गले लग प्राण प्रिय से
डर भला किस बात का |

श्याम घन नभ सोहते ज्योँ ग्वाल दल घनश्याम का ।

चंचला यमुना किनारे नृत्य रत ज्योँ राधिका ||

चाहती पलकें भी बिछना
हर कदम पर प्यार से |

कह रही हैं धडकनें भी
नाथ आ अब द्वार पे |

खिल गई चम्पा निशा में
भाव तीव्र सत्कार रख |

झुक गईं सब डालियाँ भी
पुष्प हर सिंगार का ||

श्याम घन नभ सोहते ज्योँ ग्वाल दल घनश्याम का ।

चंचला यमुना किनारे नृत्य रत ज्योँ राधिका ||

(मौलिक अप्रकाशित )

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 13, 2014 at 9:37am

अति सुन्दर रचना!

Comment by Chhaya Shukla on August 12, 2014 at 4:41pm

सादर धन्यवाद !  गीत की सराहना के लिए laxman dhami जी नमन 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2014 at 11:52am

आ०  छाया जी, इस भावपूर्ण गीत के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by Chhaya Shukla on August 12, 2014 at 10:54am

सराहना कर उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार आपका जीतेन्द्र गीत जी सादर नमन !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 9:57am

संवेदनाओं को बहुत सुंदरता से संजोया है आपने. बधाई आपको आदरणीया छाया जी

Comment by Chhaya Shukla on August 11, 2014 at 8:06pm

हार्दिक धन्यवाद उत्साह वर्धन के लिए  डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी सादर नमन !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 11, 2014 at 5:34pm

छाया जी

आपका गीत भावपूर्ण  है i इसमे वह संवेदना है जो आज के दिनों  में मिट्ती  जा रही है i

Comment by Chhaya Shukla on August 11, 2014 at 2:41pm

सादर धन्यवाद dr. vijai shanker जी गीत की सराहना के लिए नमन ! 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 11, 2014 at 1:41pm
श्रृंगार भी , अभिसार भी , सत्कार भी , फूल हरसिंगार का भी , सुन्दर काव्य . आकर्षक . बधाई .

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